सुप्रीम कोर्ट ने दिया गुजरात सरकार को झटका, खारिज की बिलकिस बानो केस की पुनर्विचार याचिका

Bilkis Bano case: सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में 11 दोषियों को दी गई छूट को रद्द करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने से इनकार कर दिया है. गुजरात सरकार की याचिका जिसमें उनके खिलाफ की गई "मिलीभगत" वाली टिप्पणी को हटाने की मांग की गई थी, उसे भी खारिज कर दिया गया है. कोर्ट का कहना है कि महाराष्ट्र सरकार को ही इस मामले में छूट देने का अधिकार है.

Date Updated
फॉलो करें:
Courtesy: social media

Bilkis Bano case: सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में 11 दोषियों को दी गई छूट को रद्द करने के अपने फैसले पर गुजरात सरकार की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया. अदालत ने राज्य सरकार की उन टिप्पणियों को हटाने की याचिका भी ठुकरा दी, जिसमें राज्य को दोषियों के साथ "सहयोगी" और "मिलीभगत" करार दिया गया था.सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार की पुनर्विचार याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि कोर्ट के 8 जनवरी के आदेश में "कोई स्पष्ट गलती" नहीं है. 8 जनवरी 2023 को दिए गए इस आदेश में, अदालत ने 11 दोषियों को दी गई छूट को रद्द कर दिया था और गुजरात सरकार को "दोषियों के साथ मिलीभगत" का दोषी ठहराया था. गुजरात सरकार ने इन टिप्पणियों को हटाने के लिए याचिका दायर की थी, लेकिन अदालत ने इसे निराधार बताया.

गुजरात सरकार का तर्क था कि इन टिप्पणियों ने राज्य की छवि को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया है. सरकार ने इसे रिकॉर्ड्स की गलती बताते हुए इन टिप्पणियों को हटाने की मांग की थी, लेकिन अदालत ने कहा कि इस मामले में किसी भी प्रकार की पुनर्विचार याचिका की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इसमें कोई गलती नहीं है.सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि 2022 में दी गई छूट के लिए गुजरात सरकार सक्षम प्राधिकारी नहीं थी, क्योंकि इस मामले का ट्रायल महाराष्ट्र में हुआ था. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में छूट देने का अधिकार महाराष्ट्र सरकार का था, न कि गुजरात सरकार का.

क्या था बिलकिस बानो मामला?

2002 के गुजरात दंगों के दौरान, बिलकिस बानो और उनके परिवार पर हमला हुआ था. इस हमले में बिलकिस के साथ गैंगरेप किया गया और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई, जिसमें उनकी 3 साल की बेटी भी शामिल थी. इस मामले का ट्रायल मुंबई में हुआ था और 2008 में 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. 2017 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने इनकी अपील को खारिज कर दिया था.

कोर्ट के आदेश में ये रहे मुख्य बिंदु

  • सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें 11 दोषियों की छूट को रद्द करने के फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की गई थी.

  • कोर्ट ने राज्य सरकार की उस मांग को भी खारिज कर दिया जिसमें सरकार ने उनके खिलाफ की गई टिप्पणियों को हटाने की अपील की थी.

  • सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, इन टिप्पणियों में कोई गलती नहीं है और यह पुनर्विचार के लायक नहीं हैं.

  • अदालत ने महाराष्ट्र सरकार को मामले में छूट देने का अधिकारिक प्राधिकारी माना क्योंकि 2002 में इस मामले का ट्रायल महाराष्ट्र में हुआ था.

  • बिलकिस बानो उस समय 21 साल की थीं और गर्भवती थीं, जब गुजरात दंगों के दौरान उनके परिवार के साथ यह बर्बरता हुई थी.

Tags :