Electoral Bonds : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को चुनावी बॉन्ड स्कीम मामले पर फैसला सुनाया. चुनावी बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, 'चुनावी बॉन्ड स्कीम असंवैधानिक, हर चंदा हित साधने के लिए नहीं होता है.'
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करार देते हुए तत्काल प्रभाव से इस पर रोक लगाने का आदेश दे दिया है. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, यह स्कीम RTI का उल्लंघन है. इतना ही नहीं उच्चतम अदालत ने एसबीआई से 6 मार्च तक चुनावी बॉन्ड की जानकारी देने के लिए कहा है.
चुनावी बॉन्ड स्कीम की वैधता पर सवाल
चुनावी बॉन्ड स्कीम की कानूनी वैधता को लेकर इसके खिलाफ चार याचिकाएं दाखिल की गई थीं. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई की. कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में इस पर सुनवाई की थी और नवंबर में फैसला सुरक्षित रख लिया था. आज याचिका पर सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा, बेंच का फैसला एकमत है. हालांकि, इस मामले में दो फैसले हैं, लेकिन निष्कर्ष एक है.
योजना RTI का उल्लंघन - सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा, इस योजना को लेकर सरकार की तरफ से काले धन पर रोक लगाने की दलील दी गई थी. वहीं कोर्ट ने कहा कि, इस दलील से लोगों के जानने के अधिकार पर असर नहीं पड़ता. यह योजना RTI का उल्लंघन है. कोर्ट ने कहा, सरकार ने दानदाताओं की गोपनीयता रखना जरूरी बताया. लेकिन हम इससे सहमत नहीं हैं.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, चुनावी बॉन्ड स्कीम असंवैधानिक है. चुनावी बॉन्ड स्कीम RTI का उल्लंघन है. इनकम टैक्स एक्ट में 2017 में किया गया गोपनीयता का बदलाव असंवैधानिक है. जनप्रतिनिधित्व कानून में 2017 में हुआ बदलाव भी असंवैधानिक है. कंपनी एक्ट में हुआ बदलाव भी असंवैधानिक है. कोर्ट ने कहा, लेन-देन के उद्देश्य से दिए गए चंदे की जानकारी भी इन संशोधनों के चलते छिपती है. SBI सभी पार्टियों को मिले चंदे की जानकारी 6 मार्च तक चुनाव आयोग को दे. चुनाव आयोग 13 मार्च तक यह जानकारी अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करे.