Tahawwur Rana: अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 26/11 मुंबई हमलों में शामिल तहव्वुर राणा द्वारा भारत में उसके प्रत्यर्पण पर आपातकालीन रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. मिल रही जानकारी के मुताबिक अदालत द्वारा यह फैसला सोमवार को सुनाई गई है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के क्लर्क ने मामले को 4 अप्रैल को सम्मेलन के लिए सूचीबद्ध किया था.
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में सम्मेलन के लिए वितरित किए जा रहे मामले का मतलब है कि अदालत के क्लर्क के कार्यालय ने मामले की सामग्री (याचिका, विरोध/समर्थन में संक्षिप्त विवरण, आदि) को आगामी सम्मेलन में समीक्षा और चर्चा के लिए न्यायाधीशों के कक्षों में भेज दिया है. जहां वे तय करते हैं कि समीक्षा की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के एक अधिकारी ने कहा कि एजेंसी को उम्मीद है कि अमेरिकी अधिकारी जल्द ही तारीखों की जानकारी देंगे. जिसके बाद भारत की टीम राणा को मुकदमे का सामना करने के लिए देश लाने के लिए अमेरिका जा सकती है. राणा ने 6 मार्च को सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति एलेना कगन द्वारा उसकी याचिका पर विचार करने से इनकार करने के बाद मुख्य न्यायाधीश जॉन जी रॉबर्ट्स जूनियर से संपर्क किया था. अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ अपनी पहली याचिका द्वायर करते हुए राणा ने दावा किया था कि भारत में उसे प्रताड़ित किए जाने की संभावना बहुत अधिक है, क्योंकि वह पाकिस्तानी मूल का मुसलमान है. उन्होंने अदालत से कहा था कि उसे भौंरे के छत्ते में भेजा जा रहा है.
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 21 जनवरी को भी भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ राणा की याचिका को खारिज कर दिया था. पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाशिंगटन यात्रा के दौरान डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने एनआईए के समक्ष उसके आत्मसमर्पण को मंजूरी दे दी थी.
वर्तमान में लॉस एंजिल्स के मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में बंद राणा को संघीय जांच ब्यूरो द्वारा एनआईए को सौंप दिया जाएगा, जिस दिन दोनों पक्षों द्वारा निर्णय लिया जाएगा. याद दिला दें की 26 नवंबर 2008 को मुंबई पहुंचे लश्कर-ए-तैयबा के 10 सदस्यीय भारी हथियारों से लैस दस्ते ने 24 विदेशी नागरिकों सहित 166 लोगों की हत्या कर दी थी. इतना ही नहीं इस दस्ते ने नागरिकों को लगभग 60 घंटे के लिए बंधक बना कर रखा था. हालांकि उसमें से एक आतंकी अजमल कसाब पकड़ा गया था. जिसने इस पूरे हमले की साजिश का खुलासा किया था.