Ladli Behna Yojana: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 'लाड़ली बहना योजना' के तहत महिलाओं को मिलने वाली वित्तीय सहायता में वृद्धि की घोषणा की है. अब लाभार्थी महिलाओं को 1,250 रुपये की जगह 3,000 रुपये प्रतिमाह दिए जाएंगे. इस ऐतिहासिक घोषणा की जानकारी मुख्यमंत्री ने देवास जिले के पीपलरावा गांव में एक कार्यक्रम के दौरान दी. इस अवसर पर सरकार ने 1.27 करोड़ महिला लाभार्थियों के खातों में कुल 1,553 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए.
इस मौके पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने महिलाओं को यह आश्वासन दिया कि योजना बिना किसी रुकावट के जारी रहेगी. उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस देशभर में झूठ फैला रही है कि यह योजना कुछ महीनों में बंद हो जाएगी. लेकिन हमारी सरकार महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के अपने वादे पर पूरी तरह कायम है.
सीएम यादव ने इसके साथ ही यह भी बताया कि सरकार 74 लाख महिलाओं को 450 रुपये में गैस सिलेंडर भी उपलब्ध करवा रही है. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि मौद्रिक लाभ को धीरे-धीरे 3,000 रुपये तक बढ़ाया जाएगा. कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री यादव ने अन्य लाभार्थियों के लिए भी कई घोषणाएं कीं. जिसमें कहा गया कि 56 लाख सामाजिक सुरक्षा पेंशन लाभार्थियों को 337 करोड़ रुपये की राशि वितरित की गई. 81 लाख किसानों के खातों में 1,624 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए. वहीं 53 विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया गया. जिनकी कुल लागत 144.84 करोड़ रुपये है.
इस बड़े ऐलान के बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इसे अधूरा वादा करार दिया और सरकार पर सिर्फ घोषणाएं करने का आरोप लगाया. उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि लाड़ली बहना योजना के लाभार्थियों की संख्या अक्टूबर 2023 में 1.31 करोड़ थी. जो फरवरी 2025 में घटकर 1.27 करोड़ रह गई है. नए लाभार्थियों को जोड़ा नहीं जा रहा, बल्कि मौजूदा नाम हटाए जा रहे हैं.
पटवारी ने मुख्यमंत्री मोहन यादव की तुलना पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान से करते हुए कहा कि बीजेपी सरकार महिलाओं को झूठे वादों से गुमराह कर रही है. हालांकि इस घोषणा को मध्य प्रदेश में कल्याणकारी योजनाओं में बड़े बदलाव के रूप में देखा जाता है. आगामी चुनावों से पहले राजनीतिक बहस तेज हो गई है और विपक्ष इसे सिर्फ एक चुनावी चाल बता रहा है. अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार अपने इस वादे को कितनी जल्दी लागू करती है और क्या विपक्ष के आरोपों का कोई असर पड़ता है.