नयी दिल्ली: 22 जनवरी उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद और दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन की याचिका पर विभाजित फैसला सुनाया. हुसैन ने इस याचिका में विधानसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत की मांग की थी.
न्यायमूर्ति पंकज मिथल ने हुसैन की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह कोई मामला नहीं बनता, जबकि न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा कि उन्हें अंतरिम जमानत पर रिहा किया जा सकता है.
इस मुद्दे पर फैसला करने के वास्ते नयी पीठ के गठन के लिए मामला प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना के समक्ष रखा जाएगा.
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी 2020 को हिंसा भड़क उठी थी जिसमें 53 लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हुए थे.
हुसैन फरवरी 2020 में हुए दंगों के एक मामले में आरोपी हैं जो खुफिया ब्यूरो के कर्मचारी अंकित शर्मा की मौत से जुड़ा है.
अभियोजन पक्ष के अनुसार, 26 फरवरी, 2020 को शिकायतकर्ता रविंदर कुमार ने दयालपुर पुलिस स्टेशन को सूचित किया कि उनका बेटा अंकित शर्मा 25 फरवरी, 2020 से लापता है.
दंगा प्रभावित क्षेत्र के खजूरी खास नाले से शर्मा का शव बरामद किया गया और उनके शरीर पर चोटों के 51 निशान थे.
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