नई दिल्ली : स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने मंगलवार को राज्यसभा में यह स्पष्ट किया कि यह दावा कि सरकार ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में असमर्थ है, पूरी तरह से गलत है. उन्होंने इस पर जोर दिया कि सरकार स्वास्थ्य सेवा को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए निरंतर प्रयासरत है.
नड्डा ने बताया कि हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की संख्या में कमी हो सकती है, लेकिन सरकार इस समस्या को हल करने के लिए मेडिकल सीटों की संख्या बढ़ा रही है. उन्होंने यह भी बताया कि अगले पांच वर्षों में 75,000 नए डॉक्टर और इस वर्ष 10,000 नए डॉक्टर तैयार होंगे, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “अक्सर यह कहा जाता है कि सरकार ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने में सक्षम नहीं है, लेकिन यह बात पूरी तरह से असत्य है. हमारी मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) वैश्विक गिरावट से दोगुनी है, और यू-विन कार्यक्रम के माध्यम से हर गर्भवती महिला, प्रसव और दो साल तक के बच्चे की देखरेख की जाती है.”
जेपी नड्डा ने कोविड-19 महामारी के दौरान देश की स्वास्थ्य व्यवस्था की मजबूती का उल्लेख करते हुए कहा कि देश भर में 220 करोड़ कोविड-19 टीके लगाए गए, जिसमें सबसे दूरदराज के इलाकों जैसे गढ़चिरौली, बस्तर, बीजापुर, नारायणपुर, लद्दाख और द्रास जैसे क्षेत्रों में भी टीकाकरण अभियान चलाया गया. उन्होंने कहा, “देश में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं बचा जहां हमारे स्वास्थ्य कार्यकर्ता नहीं पहुंचे.”
नड्डा ने यह भी बताया कि डॉक्टरों की तैनाती राज्य सरकारों द्वारा की जाती है, जबकि केंद्र सरकार उनके भुगतान की व्यवस्था करती है. इसके अतिरिक्त, यदि डॉक्टरों की कमी होती है, तो मोबाइल मेडिकल यूनिट और टेली-मेडिसिन जैसे वैकल्पिक उपायों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती हैं.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “हमारे देश की स्वास्थ्य प्रणाली मजबूत है, चाहे वह कोई भी राज्य हो और किसी भी सरकार द्वारा संचालित हो. यह प्रणाली इतनी मजबूत है कि यह सीवेज में भी पोलियो वायरस का पता लगा सकती है.” उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि देश में सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए 9 करोड़ स्क्रीनिंग की जा चुकी हैं.