लेट हुई ट्रेन तो शख्स ने रेलवे पर ही कर दिया केस, गजब का मिला न्याय

Indian Railway: भारत में ज़्यादातर लोग ट्रेन से सफ़र करते हैं. ऐसे में अगर कोई परेशानी आ जाए या ट्रेन लेट हो जाए तो आप क्या करेंगे? ट्रेन के 3 घंटे लेट होने पर एक व्यक्ति ने रेलवे के खिलाफ़ केस दर्ज करा दिया.कई सालों बाद उसे न्याय मिला .

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Courtesy: Social Media

Indian Railway: भारत में यात्रा करने के लिए सबसे ज्यादा ट्रेन का इस्तेमाल किया जाता है. कई बार किसी कारणवश ट्रेनें लेट हो जाती हैं, ऐसे में कई बार व्यक्ति का काम समय पर नहीं हो पाता. अगर आपके साथ ऐसा हो तो आप क्या करेंगे? इसीलिए आज भी लोग ट्रेन की जगह पर्सनल कार या फ्लाइट से यात्रा करना पसंद करते हैं. लेकिन एक यात्री ऐसा भी था जिसने ट्रेन के 3 घंटे लेट होने की वजह से रेलवे के खिलाफ केस दर्ज करा दिया. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अब उसे न्याय मिला है. उपभोक्ता फोरम ने रेलवे पर 7 हजार का जुर्माना लगाया है. साथ ही रकम 45 दिन के अंदर चुकाने का आदेश दिया है.

क्या है पूरा मामला 

दरअसल, 11 मार्च 2022 को जबलपुर का रहने वाला इस शख्स अरुण कुमार जैन जबलपुर से हजरत निजामुद्दीन जा रहा था.इसके लिए उसने नई दिल्ली जाने वाली स्पेशल ट्रेन से यात्रा की.वह ट्रैन सुबह 4:10 बजे दिल्ली पहुंची थी.लेकिन वो 3 घंटे पहुंची.अरुण की अगली कनेक्टिंग ट्रेन, 6:45 बजे देहरादून के लिए थी.लेकिन ट्रैन लेट होने के कारण उनकी वो ट्रैन छूट गई.इसके बाद अरुण ने उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया.लगभग 3 साल बाद उसको न्याय मिला.

अरुण पेशे से अधिवक्ता हैं, उन्होंने खुद उपभोक्ता फोरम के सामने अपना पक्ष रखा. उन्होंने अपनी याचिका में बताया कि किसी भी ट्रैन को बदलने के लिए 3 घटना बहुत होगा है.मैं इस असुविधा से बचने के लिए 3 घटने लेट का टिकट लिया था.रेलवे की लापरवाही के कारण मुझे दिक्कत का सामना करना पड़ा था.

सुनवाई के दौरान रेलवे ने कई तर्क पेश किए, लेकिन कोई भी ठोस दस्तावेज पेश नहीं कर पाया. जिससे उपभोक्ता फोरम ने रेलवे को दोषी पाया. फोरम ने रेलवे पर 7 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. इसमें 803.60 रुपये टिकट के रिफंड के रूप में, 5 हजार रुपये मानसिक पीड़ा के लिए और 2 हजार रुपये मुकदमे के खर्च के शामिल किए गए. फोरम ने यह भी आदेश दिया कि यदि रेलवे 45 दिनों के भीतर जुर्माने की राशि नहीं चुकाता, तो 9% वार्षिक ब्याज दर से भुगतान करना होगा.इस सुनवाई में रेलवे ने कई तर्क दिए, लेकिन किसी में भी ठोस दस्तावेज नहीं दिखा पाए.अरुण कुमार के इस कदम से साबित हुआ कि अगर यात्री अपनी समस्या को सही मच पर उठाए तो उसे न्याय जरूर मिलेगी.

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