भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवार को भारत में बुनियादी ढांचे के मोर्चे पर बहुत अच्छा काम करने के लिए मोदी सरकार की सराहना की. उन्होंने साथ ही उम्मीद जताई कि रोजगार बाजार को बढ़ावा देने के लिए आगामी बजट में कुछ ठोस कदम उठाए जाएंगे.
राजन ने विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की वार्षिक बैठक में अमेरिकी डॉलर पर आयोजित एक सत्र में कहा कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में 85 रुपये के स्तर तक गिरावट किसी घरेलू कारक के बजाय अमेरिकी मुद्रा के मजबूत होने की वजह से है.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने बुनियादी ढांचे के मोर्चे पर बहुत अच्छा काम किया है, लेकिन उपभोग को बढ़ावा देने के लिए दूसरा महत्वपूर्ण स्तंभ रोजगार बाजार है. इस पर ध्यान देने की जरूरत है.
राजन ने कहा कि भारत छह प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है, जो वास्तव में बहुत अच्छा है, लेकिन जब हम प्रति व्यक्ति आंकड़ों को देखते हैं, तो इसे और अधिक तेजी से बढ़ने की जरूरत है. उन्होंने कहा, ''रोजगार बाजार को तत्काल बढ़ावा देने की जरूरत है. अगले कुछ दिनों में आम बजट आने वाला है और उम्मीद है कि हम इसमें कुछ देखेंगे.''
राजन ने कहा कि जब लोग अगले 25 वर्षों में अमेरिकी डॉलर के सर्वोच्च बने रहने की बात करते हैं, तो यह निश्चित रूप से इस उम्मीद पर आधारित है कि दुनिया एकजुट रहेगी. उन्होंने कहा कि कई उभरते बाजारों के केंद्रीय बैंकों को डॉलर के मुकाबले अपनी मुद्राओं में गिरावट को रोकने के लिए हस्तक्षेप करने को मजबूर किया जा रहा है, लेकिन मुद्दा यह है कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसमें उनकी गलती नहीं है.
राजन ने ब्रिक्स समूह के लिए एक साझा मुद्रा की किसी भी संभावना से फिलहाल इनकार किया.
उन्होंने कहा, ''ब्रिक्स में एक साझा मुद्रा होने के लिए, हमें कई भू-राजनीतिक मुद्दों को सुलझाने की जरूरत है. भारत और चीन के बीच चिंताएं हैं, जबकि अन्य सदस्यों के पास अपने अलग मुद्दे हैं. मुझे नहीं लगता कि ऐसा जल्द ही होगा.''
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