अगरतला: त्रिपुरा सरकार ने वित्त वर्ष 2026-27 तक 6,500 हेक्टेयर भूमि को जैविक खेती के दायरे में लाने का लक्ष्य रखा है. एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी. वर्तमान में, इस पूर्वोत्तर के राज्य में 17,000 से अधिक किसान 18,161 हेक्टेयर भूमि पर जैविक खेती कर रहे हैं.
त्रिपुरा राज्य जैविक खेती विकास प्राधिकरण मिशन के निदेशक राजीब देबबर्मा ने बताया, “पूर्वोत्तर राज्यों में जैविक खेती की संभावना बहुत अधिक है. पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (डोनर) ने इस क्षेत्र के लिए एक मिशन जैविक मूल्य श्रृंखला पेश किया है. यह परियोजना राज्य में वर्ष 2016 से ही चालू है.’’
पहाड़ी क्षेत्रों में पारंपरिक रूप से खेती करने वाले किसानों को अपनी उपज का बेहतर मूल्य पाने के लिए जैविक खेती पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है.
उन्होंने कहा, ‘‘परिणाम हमारे हाथ में है क्योंकि जैविक किसानों की संख्या वर्ष 2017 के 2,504 से बढ़कर वर्ष 2023 में 17,412 हो गई है. जैविक खेती में बेहतर संभावनाओं और प्रीमियम मूल्य के कारण यह संख्या बढ़ती जा रही है.’’ देबबर्मा ने कहा कि जैविक खेती के तहत आने वाले खेती के रकबे को भी वर्ष 2017 के 2,000 हेक्टेयर से बढ़ाकर वर्ष 2023 में 18,161 हेक्टेयर कर दिया गया है.
उन्होंने कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2026-27 तक 6,500 हेक्टेयर भूमि को जैविक खेती के तहत लाने का लक्ष्य रखा गया है और इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 13 किसान उत्पादक कंपनियां (एफपीसी) बनाई जाएंगी.’’
देबबर्मा के अनुसार, राज्य में जैविक रूप से उत्पादित उत्पादों की घरेलू बाजार में अच्छी मांग देखी गई है और कीमतें भी अधिक हैं, लेकिन विदेशों में निर्यात के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा उचित प्रमाणीकरण की आवश्यकता होती है.
उन्होंने कहा, ‘‘अबतक त्रिपुरा में जैविक रूप से उगाए गए 37 टन सुगंधित चावल, 13 टन अदरक, 31 टन हल्दी और 362 टन अनानास राज्य के बाहर बेचे जा चुके हैं.’’
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यहां पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) के दो दिवसीय पूर्ण सत्र का उद्घाटन करने के लिए अपने दौरे के दौरान क्षेत्र में जैविक खेती पर जोर दिया ताकि इसकी पूरी क्षमता का दोहन किया जा सके.
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