यूडीएफ ने निजी विश्वविद्यालयों और 'सीप्लेन' परियोजना पर एलडीएफ के बदलते रुख पर किया कटाक्ष

तिरुवनंतपुरम : कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने बुधवार को केरल विधानसभा में सत्तारूढ़ वाम मोर्चे, एलडीएफ पर तीखा कटाक्ष करते हुए कहा कि पहले एलडीएफ ने निजी विश्वविद्यालयों का विरोध किया था, लेकिन अब वह उनके पक्ष में खड़ा हो गया है. यूडीएफ का यह आरोप तब सामने आया जब एलडीएफ ने ‘सीप्लेन’ पर्यटन परियोजना के मामले में अपना रुख बदला.  

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Courtesy: social media

तिरुवनंतपुरम :  कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने बुधवार को केरल विधानसभा में सत्तारूढ़ वाम मोर्चे, एलडीएफ पर तीखा कटाक्ष करते हुए कहा कि पहले एलडीएफ ने निजी विश्वविद्यालयों का विरोध किया था, लेकिन अब वह उनके पक्ष में खड़ा हो गया है. यूडीएफ का यह आरोप तब सामने आया जब एलडीएफ ने ‘सीप्लेन’ पर्यटन परियोजना के मामले में अपना रुख बदला.  

यूडीएफ का कहना है कि एलडीएफ की यह बदलती राजनीति राज्य के विकास में रुकावट डालने के बजाय केवल राजनीति के सटीक गणित का हिस्सा बन गई है. यूडीएफ का आरोप है कि एलडीएफ को कभी निजी विश्वविद्यालयों पर सवाल उठाने का मौका नहीं चूकते, लेकिन अब उन्हीं विश्वविद्यालयों को समर्थन देना उनके दोगलेपन को दिखाता है. इसी तरह, ‘सीप्लेन’ परियोजना के बारे में भी एलडीएफ ने पहले विरोध किया था और अब वह इसे प्रोत्साहित कर रहा है.  

पी ए मोहम्मद रियास का पलटवार  

यूडीएफ के आरोपों का जवाब देते हुए राज्य के पर्यटन मंत्री पी ए मोहम्मद रियास ने कहा कि ओमन चांडी सरकार के दौरान प्रस्तावित 'सीप्लेन' परियोजना शुरू नहीं हो पाई थी क्योंकि उस समय परियोजना से संबंधित “उचित तैयारी” नहीं की गई थी. उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने अब परियोजना के लिए सभी जरूरी कदम उठाए हैं, ताकि इसे सही तरीके से लागू किया जा सके और इसका लाभ राज्य के पर्यटन उद्योग को मिल सके.  

‘सीप्लेन’ परियोजना का महत्व  

‘सीप्लेन’ परियोजना को लेकर राज्य में लंबे समय से बहस चल रही है. इस परियोजना का उद्देश्य राज्य के पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देना और कम समय में यात्रा करने की सुविधा प्रदान करना था. हालांकि, पहले इस परियोजना को लेकर कई तरह की आपत्तियां थीं, लेकिन अब एलडीएफ सरकार इसके पक्ष में खड़ी दिख रही है.  

यूडीएफ और एलडीएफ के बीच राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का यह सिलसिला राज्य की राजनीति में नया मोड़ ला रहा है, जहां दोनों दल एक-दूसरे पर विकास कार्यों में रुकावट डालने और बदलते रुख का आरोप लगा रहे हैं. यह राजनीतिक युद्ध आने वाले समय में केरल की राजनीति को और गर्म कर सकता है.  
 

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