उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने यूसीसी अधिनियम की नियमावली को दी मंजूरी

उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने हाल ही में उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) अधिनियम की नियमावली को मंजूरी दे दी है. इस महत्वपूर्ण कदम के तहत राज्य सरकार ने यूसीसी को लागू करने के लिए आवश्यक नियम और प्रक्रिया तय की है, जिसका उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू करना है.

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Courtesy: social media

उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने हाल ही में उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) अधिनियम की नियमावली को मंजूरी दे दी है. इस महत्वपूर्ण कदम के तहत राज्य सरकार ने यूसीसी को लागू करने के लिए आवश्यक नियम और प्रक्रिया तय की है, जिसका उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू करना है.

यूसीसी का उद्देश्य और महत्व

समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का उद्देश्य विभिन्न समुदायों और धर्मों के लिए समान कानून लागू करना है, ताकि समाज में समानता और न्याय सुनिश्चित किया जा सके. इससे धार्मिक और सामाजिक भेदभाव को समाप्त करने की कोशिश की जा रही है और सभी नागरिकों के लिए समान कानूनी अधिकार सुनिश्चित किए जाएंगे. इस कदम से विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, संपत्ति और अन्य महत्वपूर्ण कानूनी मामलों में एक समानता लाने की योजना है.

मंत्रिमंडल की बैठक और निर्णय

उत्तराखंड मंत्रिमंडल की बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में इस नियमावली को मंजूरी दी गई. मंत्रिमंडल ने इसे राज्य की प्रगति और सामाजिक सुधार की दिशा में एक अहम कदम बताया. मुख्यमंत्री ने इस निर्णय को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह राज्य की सामाजिक और कानूनी संरचना को मजबूत करेगा.

नियमावली में प्रमुख बिंदु

नियमावली में यूसीसी के लागू होने के बाद राज्य में विवाह, तलाक, संपत्ति के अधिकार और उत्तराधिकार जैसे मुद्दों पर एक समान कानूनी प्रक्रिया को निर्धारित किया जाएगा. इस नियमावली के तहत सभी समुदायों के लिए समान कानूनी प्रावधान होंगे, जो पहले धर्म, जाति या समाज के आधार पर अलग-अलग थे.

राज्य में सामाजिक सुधार की दिशा में कदम

उत्तराखंड सरकार ने इस कदम को सामाजिक सुधार के रूप में देखा है, जिससे राज्य में समानता और न्याय को बढ़ावा मिलेगा. मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि यूसीसी के लागू होने से राज्य के विकास में नई दिशा मिलेगी और समाज में सामूहिक एकता को बढ़ावा मिलेगा.

उत्तराखंड मंत्रिमंडल द्वारा यूसीसी अधिनियम की नियमावली को मंजूरी देने के बाद, यह कदम राज्य के सामाजिक और कानूनी सुधार की दिशा में एक अहम कदम साबित हो सकता है. यह निर्णय न केवल कानूनी समानता सुनिश्चित करेगा बल्कि राज्य के नागरिकों को समान अधिकारों की दिशा में एक नई राह भी दिखाएगा.

(इस खबर को भारतवर्ष न्यूज की टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की हुई है)

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