Uttarkashi Tunnel Collapse: बीते 12 नवम्बर से उत्तरकाशी के सिलक्यांरा में एक टनल में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन युद्ध स्तर पर चल रहा है. बता दें कि जब दिवाली के दिन पूरी दुनिया जश्न में डूबी थी तब उत्तरकाशी के सिलक्यारा में एक सुरंग में काम कर रहे 41 मजदूरों की जिंदगी अँधेरे में चली गयी थी. सुरंग के ढहने के बाद से ही मजदूरों को सही सलामत बचाने के लिए SDRF, NDRF की टीमों के साथ ही सेना की टीम भी रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है. लेकिन 9 दिनों से सुरंग में फंसे इन मजदूरों को अभी तक सुरंग से बाहर नहीं निकाला जा सका है.
इसी सब के बीच पहली बार 21 नवंबर 2023 की देर शाम एक पाइप के सहारे रेस्क्यू टीम पहली बार उनको खाना पहुंचाने में सफल रही. इसके साथ ही उन्होंने इंडोस्कोपिक कैमरे के जरिए 9 दिनों में पहली बार मजदूरों की तस्वीर भी सामने आयी है. इन तस्वीरों के जरिये मजदूरों की हालत देखने की कोशिश की जा रही है.
बता दें कि सिलक्यारा में फंसे मजदूरों को पाइप से खिचड़ी भेजने के बाद बचावकर्मियों ने मंगलवार तड़के सुबह उन तक एक कैमरा (एंडोस्कोपिक फ्लैक्सी कैमरा) भेजा और इसके जरिये उनके सकुशल होने का पहला वीडियो जारी किया.
आइये जानते हैं कि आखिर इंडोस्कोपिक कैमरा क्या होता है.
दरअसल इंडोस्कोपिक कैमरे का इस्तेमाल मानव शरीर में जटिल और सूक्ष्म रोगों या अंगो की जांच करने में किया जाता है. तकनीकी रूप से सबसे चुनौतीपूर्ण उपकरणों में से एक एंडोस्कोपिक कैमरा शरीर के भीतरी अंगों के निरिक्षण में इस्तेमाल होता है.
बता दें कि पेशेवर डॉक्टर बिमारियों के उचित निदान और ठीक उपचार के लिए शरीर के अंदर के अंगों, जोड़ों और गुहाओं का निरीक्षण करने के लिए एंडोस्कोपिक कैमरा का उपयोग करते हैं.
अगर बात करें कि एंडोस्कोपिक कैमरा तस्वीरें कैसे खींचता है तो इसके लिए ये आधुनिक कैमरा 'चिप-ऑन-टिप' तकनीक का इस्तेमाल करता है.
जिसके जरिये तस्वीरों को डिवाइस के अंतिम भाग से जुड़े एक सॉफ्ट पैकेज के जरिए कैप्चर किया जाता है.
आधुनिक तकनीकों से लैस कैमरा अँधेरे में भी आसानी से काम कर सकता है. दरअसल एंडोस्कोपिक कैमरे के ठीक ऊपर एक एलईडी लाइट लगी होती है जिससे यह कैमरा उस जगह भी तस्वीर कैप्चर कर सकता है जहां पर रौशनी न हो.
बता दें कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बन रही सुरंग में अधिकारियों ने एक फ्लेक्सी कैमरे का उपयोग किया था जिससे उसमें लगा वायर पाइप के साथ मुड़ सकने में सक्षम था और वीडियो रिकॉर्ड कर सकने में भी सक्षम था. जानकारी के अनुसार, रेस्क्यू ऑपरेशन की टीम ने इसके छोटे आकार के कारण एंडोस्कोपिक कैमरे का उपयोग किया,जिससे बचाव दल एक छोटे से छेद में पाइप के सहारे कैमरा भेज पाने में सफलता हासिल की.
पाइपलाइन में कैमरा के साथ ही खाना और वॉकी-टॉकी भी भेजा गया
9 दिन से सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए जारी बचाव अभियान में जुटे सुरक्षा कर्मचारी निपू कुमार ने बताया कि मजदूरों से संचार स्थापित करने के लिए पाइप लाइन में एक वॉकी-टॉकी और दो चार्जर भी भेजे गए हैं. बता दें , मजदूरों को बाहर निकालने के लिए कई दिशाओं में प्रयास किया जा रहा है. इन प्रयासों के तहत भारतीय वायुसेना ने एक सी-17 और दो सी-130जे सुपर हरक्यूलिस परिवहन विमान से 36 टन वजनी मशीनें पहुंचा दी हैं.
इसी बीच सिलक्यारा सुरंग की ओर से अमेरिकन ऑगर मशीन से 'निकलने का रास्ता' बनाने का कार्य फिर शुरू होने वाला है. कठोर सतह से टकराने के बाद रुकी इस मशीन के कलपुर्जे दिल्ली से आई इंजीयनियरिंग टीम ने किसी तरह बदल दिए हैं.