Uttarkashi Tunnel Rescue Operation: अंतिम चरण में है बचाव अभियान, जानें किस बात का डर सता रहा है सुरक्षा कार्मियों को

Uttarkashi Tunnel Rescue Operation: उत्तरकाशी के सिलक्यांरा टनल में 12 दिन से फँसे मजदूरों को निकालने के लिए जारी बचाव अभियान अब अपने अंतिम चरण में है. जल्द ही मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला जायेगा.

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Uttarkashi Tunnel Rescue Operation: 12 नवंबर को उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के सिलक्यांरा गांव में एक निर्माणाधीन सुरंग ढहने से उसमे 8 राज्यों के 41 मजदूरों के फंसे होने की घटना सामने आयी थी. सुरंग के ढहने के बाद से ही फंसे मजदूरों को बाहर निकलने के लिए NDRF, SDRF और सेना की टीमें उन्हें बाहर निकालने के लिए राहत और बचाव अभियान चला रही है. लेकिन हादसे के 12 दिन बाद भी अभी तक मजदूरों के बाहर न आ पाने पर मजदूरों के परिजनों का गुस्सा बचाव अभियान म लगे अधिकारीयों और प्रशासन पर फूट रहा है. हालांकि सुरक्षा कर्मियों के प्रयासों की वजह से अब मजदूरों के बाहर आने की उम्मीद बढ़ गयी है. 

इस बारें में ज्यादा जानकारी देते हुए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान आने वाले चुनौतियों के बारे में बताया. उनके अनुसार,  हिमालयी क्षेत्रों में जियोलॉजिकल प्रिडिक्शन आसान नहीं होता. हालाँकि उन्होंने इस बात की उम्मीद भी जतायी है कि अब बचाव अभियान उस मोड़ पर है, जहां से मजदूरों को पाइप के जरिये आसानी से निकाला जा सकेगा. उनकी इस मजदूरों के परिजनों को काफी उम्मीद मिली है. 

 

मजदूरों तक पर्याप्त मात्रा में पहुंच रहा भोजन

12 दिन से निर्माणाधीन सुरंग में फंसे मजदूरों  के लिए सुरंग में एक पाइप के सहारे भोजन भेजा जा रहा है. बता दें, मजदूरों के जीवन रक्षा के लिए कंप्रेसर की मदद से  राशन, दवा और अन्य आवश्यक चीजें उन तक पहुंचाई जा रही हैं. इसके साथ ही मजदूरों को 4 इंच की पाइप लाइन से सूखे मेवे और अन्य खाने-पीने का सामान भी भेजा रहा है. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने बताया कि सुरंग के अंदर पर्याप्त पानी, ऑक्सीजन और रोशनी है. फिलहाल हम ऑगर मशीन से हॉरिजोंटल ड्रिलिंग करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सुरंग पहले से ही बनी होने के कारण अंदर 2 किमी तक जगह मौजूद है.

जानें क्यों हो रही है रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी 

 जनरल हसनैन ने रेस्क्यू ऑपरेशन में हो रही देरी को लेकर बताया कि  " जो काम किया जा रहा है वह बेहद तकनीकी है, लेकिन हिमालय क्षेत्र के जियोलॉजी  को लेकर आप कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि 16-17 नवंबर को जिस तरह की बाधाएं सामने आईं, उनकी वजह से राहत और बचाव अभियान में कम से कम पांच दिनों की देरी हुई है. उन्होंने रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर आश्वस्त करते हुए कहा कि मैं इतना जरूर कहूंगा कि हम पहले से कहीं बेहतर स्थिति में हैं.


क्या है सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकलने की योजना 

सुरंग फंसे हुए मजदूरों  को बचाने के लिए एनडीआरएफ की योजना पर पर [प्रकाश डालते हुए जनरल हसनैन ने कहा कि अंदर फंसे हुए मजदूरों तक 800 मिमी (करीब 80 सेंटीमीटर) व्यास वाले स्टील के पाइप पहुंच गए हैं. उन्होंने इस योजना पर भरोसा जताते हुए बताया कि इसकी चौड़ाई इतनी है कि इसमें मजदूर घुसकर आराम से रेंगते हुए बाहर आ सकते हैं. हालाँकि मजदुर 12 दिन से फंसे हुए हैं तो हो सकता है कि उनकी ऊर्जा काम हो और वो चल या रेंग ना पाए तो ऐसी स्थिति में बचाव कर्मी खुद पाइप लाइन के अंदर जाकर मजदूरों को बाहर ला सकते हैं. उन्होंने एनडीआरएफ पर भरोसा जताते हुए कहा कि "मुझे एनडीआरएफ पर पूरा भरोसा है कि वे ऐसा करने में सक्षम होंगे. वे बहादुर जवान हैं, और अंदर जाकर उन लोगों को बाहर लाने में सक्षम होंगे जो अपने आप बाहर नहीं आ सकते. "
 

 

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