Uttarkashi Tunnel Collapse: क्यों बनायी जा रही है उत्तरकारी में सिलक्यारा टनल, जिसमें फंसे हैं 41 मजदुर

Uttarkashi Tunnel Collapse: 12 नवंबर को उत्तरकशी में एक सुरंग के ढहने से उसमे 41 मजदुर फंसे हुए हैं. सुरंग ढहने के बाद से ही रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है लेकिन अब तक इसमें कोई बड़ी सफलता हाथ नहीं लगी है. लेकिन इन सब के बीच ही लगातार सिलक्यारा टनल की भी चर्चा हो रही है. आइये जानते हैं क्या है ये परियोजना.

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हाइलाइट्स

  • साल 2018 में चारधाम महामार्ग परियोजना के हिस्से के तहत शुरू हुआ था प्रोजेक्ट 56 प्रतिशत काम हो चूका है पूरा तीर्थयात्रियों को मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा

Uttarkashi Tunnel Collapse: उत्तराखंड के उत्तरकाशी का सिलक्यांरा इन दिनों काफी चर्चा में है. दरअसल 12 नवंबर को सिलक्यारा सुरंग के एक हिस्से के ढहने से उसमें 41 मजदूर फंसे हुए हैं. सुरंग के ढहने के बाद से ही मजदूरों को बाहर निकालने की मशक्कत अभी तक जारी है. उन्हें सुरक्षित निकालने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की एजेंसियों के साथ-साथ सेना और अंतरराष्ट्रीय संगठन भी जुटे हुए हैं. लेकिन इतनी मशक्कत और प्रयासों के बाद भी अभी तक कोई सफलता हाथ नहीं लगी है. लेकिन इन सब के बीच ही उत्तरकाशी में बन रहे इस टू वे टनल परियोजना की काफी चर्चा हो रही है. 

 

आइए जानते हैं कि यह  4.531 किलोमीटर टू वे लेन टनल क्यों और किस परियोजना के लिए बनाई जा रही थी. 

गौरतलब है कि साल 2018 में चारधाम महामार्ग परियोजना के हिस्से के रूप में राडी पास क्षेत्र के अंतर्गत गंगोत्री और यमुनोत्री को जोड़ने के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MORTH) ने उत्तराखंड के सिल्क्यारा में 4.531 किलोमीटर लंबी इस  टू लेन सुरंग का निर्माण शुरू किया था. बता दें कि इस परियोजना पर राष्ट्रीय राजमार्ग और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास निगम लिमिटेड (NHIDCL) काम कर रही है.  इस सुरंग को बनाने के लिए मार्च 2018 में परियोजना जे तहत 1383 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई थी.

 

साल 2022 तक परियोजना के पूरा होने का था लक्ष्य 

राष्ट्रीय राजमार्ग और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास निगम लिमिटेड (NHIDCL) ने 14 जून 2018 को इस केंद्रीय परियोजना के लिए ईपीसी मोड पर 853.79 करोड़ रुपये के अनुबंध समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. बता दें, इस परियोजना का काम 9 जुलाई 2018 को शुरू हुआ था और 8 जुलाई 2022 तक पूरा होने का लक्ष्य था. लेकिन परियोजना में देरी के कारण अभी तक इसका सिर्फ 56 प्रतिशत काम ही पूरा हो पाया है.हालाँकि अभी तक  इसके 14 मई 2024 तक पूरा होने की संभावना जताई जा रही थी .  लेकिन सुरंग के ढहने से हुए हादसा के बाद एक बार फिर इस परियोजना में देरी की सम्भावन है. फिलहाल लगभग 4060 मीटर यानी 90 प्रतिशत लंबाई का कार्य पूरा हो चुका है और 477 मीटर लंबाई के लिए खुदाई का काम चल रहा है. साथ ही हेडिंग वाले हिस्से की बेंचिंग आदि के काम भी चल रहे हैं. सिल्कयारा की ओर से 2350 मीटर तक और बड़कोट की ओर से 1710 मीटर तक हेडिंग की जा रही  है.

 

तीर्थयात्रियों को मिलेगा फायदा 

बता दें, केंद्र सरकार के परियोजना के तहत  इस सुरंग के बनने से तीर्थयात्रियों को काफी लाभ होगा क्योंकि यह हर मौसम में कनेक्टिविटी देगा. इससे राष्ट्रीय राजमार्ग-134 (धरासु-बड़कोट-यमुनोत्री रोड) की 25.6 किलोमीटर की  हिम-स्खलन प्रभावित लंबाई घटकर 4.531 किलोमीटर रह जाएगी. जिसके कारण  यात्रा में 50 मिनट की जगह सिर्फ 5 मिनट लगेगें. जिसकी वजह से यात्रियों का काफी समय बचेगा और काफी सुविधा होगी.