Jimmy Carter: जिमी कार्टर 39वें अमेरिकी राष्ट्रपति और भारत-अमेरिका संबंधों में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति का 100 वर्ष की आयु में जॉर्जिया स्थित उनके घर पर निधन हो गया. वे अमेरिकी इतिहास में सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले राष्ट्रपति थे. उनके निधन ने न केवल अमेरिका बल्कि भारत समेत पूरी दुनिया को एक महान नेता और मानवतावादी से वंचित कर दिया.
1978 में जिमी कार्टर भारत यात्रा पर आए, जो आपातकाल के बाद किसी अमेरिकी राष्ट्रपति की पहली यात्रा थी. उन्होंने भारतीय संसद को संबोधित करते हुए लोकतंत्र और मानव अधिकारों की महत्ता पर जोर दिया था. दिल्ली घोषणापत्र पर हस्ताक्षर कर उन्होंने भारत और अमेरिका के संबंधों को नई ऊंचाई दी. उनकी यात्रा के दौरान वे हरियाणा के दौलतपुर नसीराबाद गांव गए, जिसे उनकी यात्रा के सम्मान में 'कार्टरपुरी' नाम दिया गया. कार्टरपुरी के लोग आज भी उनकी यात्रा को याद करते हैं और हर साल 3 जनवरी को अवकाश मनाते हैं.
कार्टर के कार्यकाल में भारत-अमेरिका के रिश्तों की बुनियाद मजबूत हुई. उनके प्रशासन ने साझा लोकतांत्रिक मूल्यों को दोनों देशों के बीच लंबे समय तक चलने वाले संबंधों का आधार बताया. उन्होंने ऊर्जा, प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, और आतंकवाद-रोधी क्षेत्रों में सहयोग के बीज बोए. उनकी पहल के परिणामस्वरूप 2000 के दशक में भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु सहयोग समझौता हुआ.
जिमी कार्टर ने जीवनभर शांति, मानवाधिकार, और गरीबों की भलाई के लिए काम किया. उनकी मां लिलियन कार्टर ने भारत में पीस कॉर्प्स के साथ काम किया था, जिससे कार्टर का भारत से व्यक्तिगत जुड़ाव भी बना. 2002 में नोबेल शांति पुरस्कार मिलने पर कार्टरपुरी में उत्सव मनाया गया.
कार्टर की नीतियों ने भारत-अमेरिका सहयोग को व्यापक बनाया, जो व्यापार, रक्षा, और तकनीकी क्षेत्रों में आज भी जारी है. उनकी विरासत को राष्ट्रपति ओबामा ने 'अभूतपूर्व साझेदारी' का नाम दिया. दोनों देशों के बीच संबंधों की गहराई और मजबूती का श्रेय कार्टर की सोच और पहल को जाता है.