Uttarkashi Tunnel Rescue: क्या है बाबा बौखनाग की कहानी, जिन्हें मनाते ही खुल गया सुरंग का रास्ता

Uttarkashi Tunnel Rescue: उत्तरकाशी टनल में फंसे लोगों के लिए जारी रेस्क्यू ऑपरेशन के बार-बार असफल होने के बाद जब स्थानीय लोगों ने कहा कि बाबा बौखनाग नाराज़ हैं, इसलिए असफल हो रहे हैं प्रयास.

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Uttarkashi Tunnel Rescue: बीते 12  नवंबर से उत्तरकाशी के सिलक्यांरा सुरंग के ढ़हने के बाद से ही उसमे फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन युद्ध स्तर पर किया जा रहा था. लेकिन कभी ड्रिलिंग करने वाली ऑगर मशीन के ख़राब होने के कारण तो कभी ख़राब मौसम के कारण बार-बार रेस्क्यू ऑपरेशन असफल हो जा रहा था. इसी दौरान स्थानीय लोगों ने बाबा बौखनाग से जुड़ी कहानी बताई. स्थानीय लोगों के अनुसार बाबा बौखनाग नाराज़ हैं, इसीलिए बार-बार रेस्क्यू ऑपरेशन असफल हो रहा है. उनका कहना था कि बाबा बौखनाग को मनाना होगा. 

सुरंग के मुहाने पर बनाया गया बाबा बौखनाग का मंदिर 

स्थानीय लोगों के कहने के बाद सुरंग के मुहाने पर बाबा बौखनाग का मंदिर बनाया गया. इतना ही नहीं, रेस्क्यू ऑपरेशन में उतरने से पहले एक्सपर्ट और बचाव दल की टीमें भी बाबा बौखनाग का आशीर्वाद लेते थे और ऑपरेशन सफल होने के लिए प्रार्थना करते थे. अब- जब रेस्क्यू ऑपरेशन के पूरा होने की उम्मीद की जा रही है और किसी भी समय मजदूरों के बाहर आने की खबर आ सकती है तो उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी बाबा बौखनाग को धन्यवाद कहा है. इसके अलावा विदेशी एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने भी बाबा बौखनाग के मंदिर पर माथा टेका है.

स्थानीय लोगों और वहां मौजूद लोगों के अनुसार,  सुरंग के मुहाने पर बनाये गए बाबा बौखनाग मंदिर के पीछे भगवान शिव की आकृति भी नजर आयी थी. जिसके बाद ही रेस्क्यू ऑपरेशन अब पूरा होने वाला है. ऐसे में लोगों का मानना है कि बाबा बौखनाग ने साक्षात् आकर वहां ऑपरेशन को सफल बनाने में मदद की है. 

क्या है कहानी बाबा बौखनाग के नाराज होने की 

उत्तराखंड में बाबा बौखनाग को लेकर बड़ी मान्यता है. दरअसल स्थानीय लोगों का कहना है कि सिल्क्यारा सुरंग के निर्माण के दौरान बिल्डर्स ने बाबा बौखनाग के प्राचीन मंदिर को नष्ट कर दिया था . जिसकी वजह से बाबा बौखनाग क्रोधित हो गए और उनकी ही नाराजगी की वजह से यह हादसा हुआ. गाँव के लोगों का मानना है कि सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने  के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन में बार-बार दिक्कतें भी बाबा बौखनाग की नाराजगी के कारण ही आ रही थी. बता दें कि स्थानीय लोगों द्वारा इस खुलासा के बाद जब -जब प्रयास विफल हुए तो निर्माण कंपिनयों के अधिकारियों ने बाबा बौखनाग से माफी मांगी.

मंदिर की स्थापना के  बाद दिखने लगे चमत्कार 

स्थानीय लोगों ये बार-बार कहते रहे कि जब -तक बाबा बौखनाग को नहीं मनाएंगे, तब-तक रेस्क्यू ऑपरेशन सफल नहीं होगा. इसके बाद ही सुरंग ढहने के करीब 12 दिन बाद 23 नवंबर को स्थानीय लोगों ने सुरंग के बाहर बाबा बौखनाग का मंदिर स्थापित किया. खास बात ये है कि मंदिर की स्थापना के बाद से ही चमत्कार दिखने शुरू हो गए और मजदूर भी तब से सुरक्षित हैं. बाबा बौखनाग की पूजा के बाद ही मजदूरों से संपर्क हो पाया और आज रेस्क्यू ऑपरेशन भी सफलता के बेहद करीब है.