Uniform Civil Code: समान नागरिक संहिता (UCC) को देश में लागू करने की चर्चा एक बार फिर से शुरू हो गई है. इस साल देश में लोकसभा चुनाव होने हैं. जिसे लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. वहीं केंद्र की मोदी सरकार ने देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के संकेत दिए हैं. UCC को लेकर आपके मन में कई सवाल होंगे. क्या है समान नागरिक संहिता? देश में लागू करना इसे जरूरी है या नहीं, लागू हुआ तो क्या असर पड़ेगा, और क्यों कुछ लोगों द्वारा इस कानून का विरोध किया जा रहा है.
समान नागरिक संहिता से तात्पर्य देश में सभी धर्म, समुदाय और लोगों के लिए एक बराबर कानून बनाया जाएं. हर धर्म, समुदाय एक ही कानून का पालन करें UCC इसकी वकालत करता है. सरल शब्दों में कहे तो इस कानून का मतलब है कि देश में सभी धर्मों, समुदाओं के लिए कानून एक समान होगा. मजहब और धर्म के आधार पर मौजूदा अलग-अलग कानून एक तरह से निष्प्रभावी हो जाएंगे.
क्या है संवैधानिक वैधता?
समान नागरिक संहिता कानून संविधान के अनुच्छेद 44 में अंकित है. इस कानून के तहत राज्य पूरे भारत में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे. इसी अनुच्छेद के तहत इस यूनिफॉर्म सिविल कोड को देश में लागू करने की मांग की जा रही है. इस कानून को देश में लागू करने के लक्ष्य को लेकर देश में जनसंख्या को बिगड़ने से रोकना और जनसांख्यिकी को नियंत्रित करने का तर्क दिया जाता है.
बीजेपी का प्राइमरी एजेंडा
UCC को देश में लागू करने को लेकर काफी लंबे समय से राजनीतिक नरेटिव और बहस का केंद्र बना हुआ है. इस कानून को लागू करना भारतीय जनता पार्टी की हमेशा से प्राथमिकता रही है. यह मुद्दा बीजेपी का प्राइमरी एजेंडा है. बीजेपी 2014 में सरकार बनने से ही UCC को संसद में कानून बनाने पर जोर दे रही है. 2024 चुनाव आने से पहले इस मुद्दे ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है. बीजेपी सत्ता में आने पर UCC को लागू करने का वादा करने वाली पहली पार्टी थी और यह मुद्दा उसके 2019 के लोकसभा चुनाव घोषणापत्र का हिस्सा था.
यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है?
यूनिफॉर्म सिविल कोड इस बात की पैरवी करता है कि विवाह, तलाक, गोद लेने और संपत्ति में सभी के लिए एक जैसे नियम होने चाहिए. परिवार के सदस्यों के आपसी संबंध और अधिकारों में समानता होनी चाहिए. जाति, धर्म या परंपरा के आधार पर नियमों में कोई रियायत नहीं की जानी चाहिए. किसी भी धर्म विशेष के लिए अलग से कोई नियम नहीं होगा.
देश में UCC लागू हुआ तो क्या होगा असर?
यदि देश में UCC लागू हुआ तो UCC के तहत शादी, तलाक, संपत्ति, गोद लेने जैसे मामले लागू हो जाएंगे. हर धर्म में शादी, तलाक के लिए एक ही कानून होगा. जो कानून हिंदुओं के लिए, वहीं दूसरों के लिए भी होगा. बिना तलाक के एक से ज्यादा शादी नहीं कर पाएंगे. शरीयत के मुताबिक जायदाद का बंटवारा नहीं होगा.
UCC लागू होने से क्या नहीं बदलेगा?
UCC लागू होने के बाद धार्मिक मान्यताओं पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. धार्मिक रीति-रिवाज पर असर नहीं पड़ेगा. ऐसा नहीं है कि शादी पंडित या मौलवी नहीं कराएंगे. खान-पान, पूजा-इबादत, वेश-भूषा पर प्रभाव नहीं पड़ेगा.