जम्मू-कश्मीर में जहां आर्टिकल 370 हटने पर वहां के लोगों ने एक लंबे अरसे बाद मतदान किया, तो इस बार हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर भी राजनीतिक गलियारों में व मीडिया की सुर्खियों में खासा चर्चाएं हुई. क्योंकि दोनों ही जगहों पर मतदान के बाद अब 8 अक्टूबर को होने वाली मतगणना का बेस्ब्री से इंतजार बना हुआ है. लोग समाचार पत्रों के साथ-साथ न्यूज चैनल के जरिए एग्जिट पोल को लेकर काफी उत्साहित है. जो हरियाणा में मतदान समाप्त होने के बाद जारी किए जाएंगे. सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी राज्य में तीसरी बार सत्ता संभालने का मन बना चुकी है. तो दूसरी तरफ कांग्रेस 10 साल बाद सत्ता पर फिर से कब्ज़ा जमाने में लगी हुई है.
इतिहास की बात की जाए तो दोनों ही राज्यों में एग्जिट पोल मिली जुली जानकारी दे रहे हैं. कुछ लोगों की सीटों के बंटवारे को लेकर भी प्रभावी भविष्यवाणी देखी गई थी, लेकिन आखिर में कई नेताओं द्वारा दल बल की नीति ने काफी कुछ बदलकर रख दिया. साल 2014 में मतदान 15 अक्टूबर को हुआ था और नतीजे 4 दिन बाद घोषित किए गए थे. राज्य में रिकॉर्ड 76.54 प्रतिशत मतदान तो हुआ. लेकिन भाजपा 47 सीटों के साथ चुनावों में जीती थी. अधिकांश सर्वेक्षणकर्ताओं ने कृषि, खेल और ऐतिहासिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध इस उत्तरी राज्य में भगवा पार्टी की स्पष्ट जीत की भविष्यवाणी की थी. उस साल की बात कि जाए तो न्यूज चैनल इंडिया टीवी-सीवोटर, एबीपी न्यूज-नीलसन, टाइम्स नाउ और न्यूज 24-चाणक्य ने भारतीय जनता पार्टी के लिए 37 से 52 सीटों का अनुमान लगाया था।
5 वर्ष पहले साल 2019 में, भाजपा हरियाणा में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर सामने आई. भाजपा ने 40 सीटें पर जीत हांसिल की- जो भाजपा के पिछले प्रदर्शन से 7 सीटों की गिरावट आई थी। हालांकि, एग्जिट पोल से पता चला कि भाजपा राज्य में 51 से 78 सीटें जीत सकती है, जो बहुमत के 46 सीटों के आंकड़े को पार कर जाएगी। पार्टी ने जननायक जनता पार्टी और सात निर्दलीय विधायकों के साथ गठबंधन करके सरकार बनाई।
भाजपा की तरफ से मनोहर लाल खट्टर और जेजेपी अध्यक्ष दुष्यंत चौटाला ने भाजपा-जेजेपी गठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद के लिए चुने गए थे. एबीपी न्यूज-सीवोटर ने 78 सीटें मिलने का अनुमान लगाया है, जबकि पैट्रियटिक वोटर ने 51 सीटें मिलने का अनुमान लगाया है। न्यूजएक्स-पोलस्ट्रैट ने 76 सीटें मिलने का अनुमान लगाया है, जबकि रिपब्लिक-जन की बात ने 58 से 70 सीटों के बीच अपनी भविष्यवाणी की है।
जम्मू-कश्मीर में एक दशक के बाद 18 सितंबर से 1 अक्टूबर तक तीन चरणों में चुनाव हुए और केंद्र शासित प्रदेश में 63.45 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया, जो हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में दर्ज मतदान से अधिक है. साल 2014 में जम्मू व कश्मीर राज्य में 25 नवंबर से 20 दिसंबर तक 5 चरणों में मतदान हुए थे। मतदाताओं ने जम्मू व कश्मीर विधानसभा के लिए 87 सदस्य चुने. इसका 6 सालों का कार्यकाल 19 जनवरी, 2020 को पूरा होने वाला था, लेकिन पीडीपी-भाजपा सरकार इस तिथि से पहले गिर गई, जिसके परिणामस्वरूप क्षेत्र में राष्ट्रपति शासन लगा.
सी-वोटर एग्जिट पोल जैसे सर्वेक्षणकर्ताओं ने अनुमान लगाया था कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 27-33 सीटें, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस) 4-10 सीटें, जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस 8-14 सीटें, जम्मू और कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) 32-38 सीटें और अन्य 2-8 सीटें हांसिल कर सकती है. पीडीपी 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, उसके बाद भाजपा 25 सीटों के साथ दूसरे, नेशनल कॉन्फ्रेंस 15 सीटों के साथ तीसरे पायदान पर, कांग्रेस 12 सीटों के साथ चौथे पायदान पर रही.
2008 में, नवंबर और दिसंबर में 7 दिन तक मतदान हुए थे. पिछली सरकार, जम्मू और कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) के बीच गठबंधन थी, जो पीडीपी द्वारा अपना समर्थन वापस लेने के बाद गिर गई थी. चुनावों के बाद, जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया, जिसके कारण उमर अब्दुल्ला 38 साल की उम्र में राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री बन गए. इस साल एग्जिट पोल से संकेत मिला था कि नेशनल कॉन्फ्रेंस घाटी में अधिकतर सीटें जीतेगी, जबकि कांग्रेस को जम्मू क्षेत्र में बहुमत मिलने की उम्मीद थी.