उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल आत्महत्या करके जान गंवा चुके बेंगलुरु के इंजीनियर अतुल सुभाष की पत्नी को सोमवार को निर्देश दिया कि वह अपने नाबालिग बेटे को उसके समक्ष पेश करे.
न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने सुभाष की अलग रह रही पत्नी निकिता सिंघानिया की ओर से पेश वकील से कहा कि वह वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये बच्चे को पेश करें. पीठ ने कहा, ‘‘यह बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका है। हम बच्चे को देखना चाहते हैं. बच्चे को पेश करें.’’
सिंघानिया की ओर से पेश वकील ने कहा कि वह 30 मिनट के भीतर बच्चे को पेश कर देंगे। शीर्ष अदालत मामले की सुनवाई जारी रखेगी.
अदालत को बताया गया कि बच्चे ने हरियाणा में स्कूल छोड़ दिया है और वर्तमान में वह अपनी मां के साथ रह रहा है. पीठ सुभाष की मां अंजू देवी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने अपने चार-वर्षीय पोते की अभिरक्षा का अनुरोध करते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है.
न्यायालय ने सात जनवरी को उन्हें नाबालिग बच्चे का संरक्षण देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि वह ‘‘बच्चे के लिए अजनबी’’ हैं. सुभाष (34) का शव पिछले साल नौ दिसंबर को बेंगलुरु के मुन्नेकोलालु में अपने घर में फंदे से लटका मिला था. उन्होंने कथित तौर पर लंबे संदेश छोड़े थे, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी और ससुराल वालों को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का दोषी ठहराया था.
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि अतुल सुभाष की पत्नी और बेटे को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से पेश किया जाए ताकि जांच प्रक्रिया में कोई रुकावट न हो. अदालत ने यह भी कहा कि अगर परिवार के सदस्य शारीरिक रूप से अदालत में उपस्थित नहीं हो सकते, तो वीडियो कांफ्रेंसिंग एक उपयुक्त विकल्प होगा.
अतुल सुभाष की आत्महत्या मामले की जांच में परिवार के बयान महत्वपूर्ण होंगे, और अब न्यायालय ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से उनकी पेशी का आदेश दिया है. यह कदम जांच की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, जिससे आत्महत्या के कारणों का खुलासा किया जा सके.
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