Congress Politics: क्या कांग्रेस भारत को उत्तर और दक्षिण भारत में बांटकर लोकसभा चुनाव 2024 में जीत की नींव रख रही है? पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस को मिली हार के बाद वरिष्ठ कांग्रेस नेता और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने बिहार के डीएनए को खराब बताकर उत्तर बिहार को कटघरे में खड़ा किया था. इस घटना को अभी एक महीना भी नहीं बीता है कि तमिलनाडु के डीएमके नेता और सांसद दयानिधि मारन ने एक बार फिर बिहारियों यानी हिंदी भाषी लोगों पर निशाना साधते हुए बेतुका बयान दिया.
सत्ताधारी डीएमके सांसद दयानिधि मारन ने हिंदी भाषी लोगों पर निशाना साधते हुए एक बार फिर टिप्पणी कर भारत को उत्तर और दक्षिण भारत में बांटकर नकारात्मक राजनीति शुरू कर दी है. अपने बयान के जरिए डीएमके सांसद दयानिधि मारन ने कहा कि यूपी/बिहार से हिंदी भाषी लोग तमिलनाडु आते हैं, सड़कें और शौचालय साफ करते हैं. उनका ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है. यह वीडियो एक जनसभा को संबोधित करते हुए जारी किया गया है.
अभी कुछ दिन पहले ही तेलंगाना कांग्रेस अध्यक्ष रेवंत रेड्डी ने बिहार के डीएनए पर सवाल उठाया था. उन्होंने अभी सीएम पद की शपथ भी नहीं ली थी, लेकिन सत्ता का खौफ इतना था कि उन्होंने कहा कि केसीआर का डीएनए बिहार का है और उनका डीएनए तेलंगाना का है. केसीआर मूल रूप से बिहार की कुर्मी जाति से हैं. उनका परिवार काफी समय पहले तेलंगाना चला गया था. वह यहीं नहीं रुके बल्कि उन्होंने यह भी कहा कि तेलंगाना का डीएनए बिहार के डीएनए से बेहतर है.
अब चाहे वो भारत गठबंधन में शामिल डीएमके नेता दयानिधि मारन हों या फिर तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी. उन बयानों को लेकर किसी भी जिम्मेदार कांग्रेस नेता ने कोई पॉजिटिव या नेगेटिव टिप्पणी नहीं की. यानी कि, दक्षिण और उत्तर भारत के बीच की खाई को और अधिक गहरा होने दिया गया. इंडिया अलायंस की चौथी बैठक में जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हिंदी भाषा का सवाल उठाया तो सोनिया गांधी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने अंग्रेजी में ही बात की.
राजनीतिक हलकों में कांग्रेस की इस चुप्पी के निहितार्थ निकाले जा रहे हैं. एक तर्क यह सामने आ रहा है कि कांग्रेस दक्षिण भारत से बीजेपी को हटाकर एकीकृत राज इंडिया गठबंधन बनाना चाहती है. उत्तर भारत के लिए कांग्रेस अपने क्षेत्रीय क्षत्रपों के सहारे जीत हासिल करने की रणनीति पर काम कर रही है. कांग्रेस जानती है कि जाति-ग्रस्त हिंदी पट्टी में क्षत्रिय क्षत्रप अधिक प्रभावी होंगे और उनके साथ गठबंधन करके कांग्रेस अपनी सीटें भी बढ़ाएगी.
वहीं कांग्रेस भी ईसाइयों के सहारे उत्तर-पूर्वी राज्यों को अपने पक्ष में लाने की रणनीति पर काम कर रही है. कांग्रेस ने दक्षिण भारत से उत्तर भारत की यात्रा के बाद अब पश्चिम से पूर्व की ओर यात्रा की योजना बनाई है. संभव है कि जल्द ही तारीख आ जाए.
दक्षिण के नेता लगातार हिंदी पट्टी के लोगों को हेय दृष्टि से देख रहे हैं। उन्हें संपूर्ण भारत की राजनीति की कोई चिंता नहीं दिखती. चाहे वह सनातन धर्म का विरोध हो या हिंदी पट्टी का ख़राब डीएनए। कांग्रेस ने दक्षिण के नेताओं को कोई सलाह नहीं दी. यहां तक कि कांग्रेस नेता और सीएम रेवंत रेड्डी के बयान में भी अनुशासनात्मक कार्रवाई तो छोड़िए, कोई निषेधात्मक बयान भी नहीं था. जो संकेत मिल रहे हैं उससे तो यही लग रहा है कि कांग्रेस उत्तर और दक्षिण भारत का दांव खेल रही है.
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने तमिलनाडु में सत्तारूढ़ डीएमके सांसद दयानिधि मारन की हिंदी भाषी लोगों पर की गई टिप्पणी पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद सुप्रीमो लालू यादव को कटघरे में खड़ा किया है. गिरिराज ने सोशल मीडिया पर दयानिधि मारन का वीडियो शेयर करते हुए पूछा है कि क्या बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लालू यादव हिंदी भाषी लोगों पर अपने गठबंधन सहयोगी की राय से सहमत हैं?