Women Reservation Bill: पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में प्रस्तावित महिला आरक्षण विधेयक बिल को मंजूरी मिल गई है. वहीं लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए सारी सीटों में से एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रावधान करने वाला ये विधेयक करीबन 27 वर्षों से रूका हुआ था. दरअसल सरकार ने अब तक इस प्रस्तावित बिल के बारे में कुछ नहीं बोला है. यदपि जब बिल को आखिरी बार साल 2008 में संसद में पेश किया गया था, परन्तु इसमें दिए प्रस्ताव के अनुसार लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए सारे सीटों में 33% आरक्षित करना है.
विधेयक के अनुसार महिला सांसदों के लिए आरक्षित सीटें किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेशों के अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में रोटेशन की मदद से आवंटित किया जाता है. वहीं इस विधेयक में बताया गया है कि, इसे लागू करने के 15 वर्षों के उपरांत महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करने की व्यवस्था को हटा दिया जाएगा. जबकि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों की कुल संख्या का 1 तिहाई लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं में उन सारे समूहों की महिलाओं के लिए आरक्षित किया जाना था. वहीं इस विधेयक को प्रथम साल 1996 में तत्कालीन प्रधानमंत्री देवेगौड़ा के नेतृत्व वाली संयुक्त मोर्चा सरकार ने 81वें संशोधन विधेयक के तौर पर लोकसभा में पेश हुआ था.
दरअसल महिला आरक्षण विधेयक को सदन में मंजूरी नहीं मिली थी. वहीं इसे एक संयुक्त संसदीय समिति को भेज दिया गया था. जिसने साल 1996 में लोकसभा को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी. जबकि लोकसभा भंग होते ही विधेयक को समाप्त कर दिया गया था. वर्ष1998 में वर्तमान पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने 12वीं लोकसभा में इस विधेयक को एक बार फिर पेश किया था. परन्तु इसे पेश करने के उपरांत राजद के एक सांसद सदन के वेल में चले गए थे. इसके साथ ही बिल को छीन लिया गया. उसके टुकड़े-टुकड़े कर दिए गए. इसके बावजूद भी विधेयक को समर्थन प्राप्त नहीं हुआ. और इसको निरस्त कर दिया गया.
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