कामकाजी महिलाओं को घर और दफ्तर दोनों ही संभालने होते हैं। ऐसे में कई बार घर और ऑफिस के काम और प्रेशर के बीच कामकाजी महिला इतना परेशान हो जाती है कि उसे थकान और तनाव दोनों ही परेशान कर डालते हैं। आजकल कामकाजी महिलाओं का जमाना है और ऐसे में घर की फाइनेंशियल जिम्मेदारी लेने वाली औरतों को चाहिए कि घर के कामकाज में उनको घर के अन्य सदस्यों का भी सपोर्ट मिले ताकि वो घर और ऑफिस की दोहरी मार से परेशान ना हो सकें। ऐसे में महिलाओं को स्मार्टली सोचते हुए घर के सदस्यों को सेल्फ इंडीपेंडेस सिखाना चाहिए ताकि हर काममकाज के लिए वो आपका मुंह ताकने की बजाय घर के कामकाज में आपका हाथ बंटा सकें। इसे करना बेहद ही आसान है लेकिन इसे अमल में लाना जरा मुश्किल है क्योंकि इसके लिए बाकायदा समय चाहिए और घरवालो की रजामंदी भी। चलिए आज जानते हैं कि कामकाजी महिलाएं अपने घर के सदस्यों को कैसे मल्टीपरपज और इंडीपेंटेड बन सकती है ताकि घर के कामकाज को हर किसी के साथ बांटा जा सके और घर के कामकाज में महिलाओं को थोड़ा आराम मिल सके।
छोटे बच्चों से करें शुरूआत
आपको इसकी शुरूआत छोटे बच्चों से करनी होगी। छोटे बच्चों को अपना सामान खुद रखना सिखाइए। उनको बताइए कि अलमारी कैसे ठीक की जाती है,जूते कहां संभाल कर रखने है और खाना खाने के बाद जूठे बर्तन कहां रखे जाते हैं। इससे बच्चे अपना काम दूसरों पर टालने की बजाय खुद काम करना सीखेंगे। उनको सिखाइए कि कम से कम अपने कामकाज वो सही से कर पाएं और अगर दो बच्चे हैं तो दोनों के एक दूसरे की हैल्प करना सिखाइए। इससे दोनों बच्चों में एक दूसरे के लिए प्यार और सहयोग की भावना बनेगी। बच्चों को अपने सामान की सुरक्षा करना, अपना स्कूल बैग खुद लगाना, अपना होमवर्क करना, अपने नाखून काटना, नहाना, अपने कपड़े तह बनाना, पानी लेना, बड़ों को पानी देना आदि आना चाहिए। इससे आपके बच्चे में कामकाज की आदत रहेगी और उसका कमरा भी साफ बना रहेगा।
टीनेजर बच्चों को सिखाइए ये बात
टीनेज बच्चे काफी टची होते हैं। उन पर पढ़ाई का बोझ भी होता है और उनकी प्राइवेसी भी जरूरी होती है। अपने टीनेज बच्चे को चाय कॉफी बनाना सिखा सकती है। वॉशिंग मशीन में कपड़े डालकर मशीन चलाना, संडे की सफाई, बाजार से सामान लाने की जिम्मेदारी टीनेज बच्चे को दी जा सकती है। टीनेज बच्चे को अपना कमरा खुद साफ करना चाहिए और इसके अलावा उसे मैगी, नूडल्स आदि बनाने सिखाइए ताकि एमरजेंसी में वो भूखा रहने की बजाय अपने लिए भोजन बना सके। सैल्फ इंडीपेंडेस के लिए ये बहुत जरूरी है कि बच्चों को अपने कमरे की साफ सफाई आनी चाहिए और बेसिक भोजन बनाने की ट्रेनिंग देनी ही चाहिए।
बड़ों को भी हेल्प करनी होगी
घर के बड़े लोग भी जिम्मेदारी लेंगे तो वर्किंग वीमेन को काफी आसानी हो जाएगी। जैसे घर के बड़े बूढ़े अगर दूध, सब्जी लेते आएं, बच्चों को स्कूल से लेते आएं और अगर दादी नानी सब्जी काट दें तो खाना बनाने में आसानी हो जाती है। कपडे़ धुलकर आएं तो तह बनाना कोई ज्यादा बड़ा काम नहीं होता,ऐसे कामकाज को बड़े लोग आराम से कर सकते हैं। बागवानी करना, पौधों को पानी देना जैसे काम भी बड़े बुजुर्ग लोग चाहें तो आराम से कर सकते हैं। हाउस हेल्प की मदद से छोटे बच्चे की भी अच्छी देखभाल की जा सकती है।
वयस्कों को वर्किंग वीमेन के कंधे से कंधा मिलाकर काम करना होगा। घर के पुरुषों को भी खाना बनाना सिखाना चाहिए ताकि अल्टरनेटिव तौर पर पुरुष और महिला दोनों खाना बना सकें। इससे दोनों को कुछ कुछ आराम मिलेगा। इसके अलावा घर की साफ सफाई और खरीदारी अगर मिलकर की जाए तो काम भी बंट जाएगा और फन का फन हो जाएगा।