India-Pakistan: आज भारत-पाक मिलकर मनाएंगे सांस्कृति उत्सव, बंटवारे के उपरांत पहली बार मिलेगा पंज-आब का जल

India-Pakistan: भारत-पाक के बंटवारे के उपरांत आज यानि 2 नवबंर को पहली बार चढ़दा-लहंदा पंजाब सांस्कृतिक तौर पर एक दूसरे से मिलने वाले हैं. वहीं आज दोनों ओर के पंजाब के एक्टिविस्ट मिलकर अपनी संस्कृति का उत्सव मनाने जा रहे हैं. साथ ही दोनों ओर से शांति का संदेश देने वाले एक्टिविस्ट एक कार्यक्रम का […]

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India-Pakistan: भारत-पाक के बंटवारे के उपरांत आज यानि 2 नवबंर को पहली बार चढ़दा-लहंदा पंजाब सांस्कृतिक तौर पर एक दूसरे से मिलने वाले हैं. वहीं आज दोनों ओर के पंजाब के एक्टिविस्ट मिलकर अपनी संस्कृति का उत्सव मनाने जा रहे हैं. साथ ही दोनों ओर से शांति का संदेश देने वाले एक्टिविस्ट एक कार्यक्रम का आयोजन करने वाले हैं. जो की एक विशेष प्रकार की पहल है.

रावी का जल

वहीं पाकिस्तान के लाहौर में होने वाले इस विशेष कार्यक्रम को विछड़े पंज पाणियां दा मेला नाम दिया गया है. जिसमें एक प्रयास को मौजूद किया गया है. इस दरमियान पंजाब यानि कहने का मतलब है कि, पंजाब की 5 नदियों का जल मिलाया जा रहा है. इस दरमियान कुछ पलों के लिए बंटवारे से पूर्व का पंजाब एक बार फिर से जीवित हो जाएगा. वहीं सांझा पंजाब के एक्टिविस्ट और US आधारित प्रोफेसर तरुनजीत सिंह बुटालिया की ओर से ये पहल की जा रही है. बता दें कि, बुटालिया ने सतलुज एवं ब्यास नदी का जल लिया है. वह इस पानी को लाहौर ले गए हैं. पाकिस्तान के एक्टिविस्ट झेल, चिनाब एवं रावी का जल लेकर लाहौर पहुंचेंगे. जहां दोनों देशों के पंजाब के पानी का मिलन होगा.

नदियों के पानी का मिलन

इस कार्यक्रम को पूरी तरह से सफल बनाने के लिए दोनों देशों की समाज सेवी संस्थाओं ने मिलकर प्रयास किया है. वहीं दोनों का लक्ष्य एक ही है. जीवय सांझा पंजाब एवं राही बचाओ तहरीक की ओर से ये कोशिश किए जा रहे हैं. आज दोनों देशों के पानी को पहले लाहौर के ऊंचा बुर्ज लाहौर दा जाएगा. जिसके उपरांत कार्यकर्ता इकट्‌ठे होकर शालीमार बाग के नजदीक दरबार माधो लाल हुसैन में एकत्रित होंगे. जहां से इसे पारंपरिक ढोल वादकों संग रावी नदी तक जुलूस में ले जाया जाएगा. जिसे पंजाब की नदियों एवं उनके जल के सम्मान में पारंपरिक पंजाबी कविता, संगीत, कलूम के मध्य रावी में विसर्जित होगा.

लक्ष्य पंजाब को दिल से जोड़ना

इस एक पहल का उद्देश्य दोनों देशों में बंट चुके हैं. चढ़दे और लहंदे पंजाब को दिल से जोड़ने का है. वहीं पंजाब वर्तमान 5 नदियों जैसे सतलुज, ब्यास, रावी, झेलम, चिनाब से पूरा होता है. जबकि इस माध्यम से युवाओं को मैसेज दिया जाएगा कि, इन नदियों को प्रदूषित होने एवं अनावश्यक उपयोग से बचाया जाए.