Punjab: उत्तराखंड के चमोली जिले में सिखों का पवित्र तीर्थ स्थल हेमकुंड साहिब स्थित है. 15,225 फीट की ऊंचाई पर मौजूद इस स्थल को शबद कीर्तन एवं पहली अरदास के साथ हर साल खोल दिया जाता हैं. इसकी पुरानी मान्यता है कि यहां पर गुरु गोविंद सिंह ने दशम ग्रंथ तैयार किया था. इतना ही नहीं हर साल सिख समुदाय के लोगों के साथ साथ अन्य संप्रदाय के लोग भी दर्शन के लिए जाते हैं.
हेमकुंड साहिब चारों तरफ बर्फ से घिरा क्षेत्र है, जो हिमालय की गोद में बसा है. इसके साथ ही हिमालय के सप्तशृंग यानी सप्तऋषि पर्वत चोटियों पर खालसा पंथ का प्रतीक चिह्न ‘निशान साहिब’ के ध्वज हमेशा लहराते नजर आते हैं. वहीं इन पर्वत को हेमकुंड यानी ‘बर्फ का कटोरा’ भी कहा जाता है. इतना ही नहीं हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा वाले स्थान पर 7 से 8 महीने बर्फ की परत जमी रहती है. वहीं यहां आकर तीर्थयात्री सबसे पहले इस पवित्र सरोवर में स्नान कर गुरुद्वारे में पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब को शीश नवाकर अरदास करते हैं.
वहीं गुरु गोबिंद सिंह की आत्मकथा बचित्तर चरित में उल्लेख करके बताया गया है. जिसमें हेमकुंट परबत है जहां सप्तशृंग सोभित है तहां. तहं हम अधिक तपस्या साधी. महाकाल कालिका आराधी.. एहि बिधि करत तपस्या भयो. द्वै तै एक रूप ह्वै गयो. कहा गया है कि इस पुण्यस्थली पर उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अगले जन्म गुरु गोबिंद सिंह के रूप में जन्म लेने को कहा था, और दुष्टों का संहार करने की कृपा प्रदान की थी.
मिली जानकारी के मुताबिक श्री हेमकुंड साहिब के कपाट आज यानि 11 अक्टूबर को शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे. जो कि आने वाले पांच महीनों तक बंद रहने वाले हैं.