भूलकर भी ना ले जाए भोलेनाथ की नगरी काशी से गंगाजल, घर का होगा सत्यानाश
भोलेनाथ की नगरी
भोलेनाथ की नगरी वाराणसी को आज के समय में बनारस नाम से जाना जाता है.
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मोक्ष का द्वार
इससे पहले इसे काशी नाम से जाना जाता था. वाराणसी को मोक्ष का द्वार कहा जाता है.
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दुनिया का सबसे पुराना शहर
माना जाता है कि भगवान शिव ने खुद इस नगरी को बसाया था. इसे दुनिया के सबसे पुराने शहरों में गिना जाता है.
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शंकर के त्रिशुल
माना जाता है कि भगवान शंकर के त्रिशुल पर इस शहर को बनाया गया है. एक मान्यता और भी बेहद चौकाने वाला है.
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महापाप का भागी
बनारस से गंगा जल ले जाने पर मनाही है. ऐसे करने वाले लोगों को महापाप का भागी बताया जाता है.
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गंगाजल नहीं ले जाना चाहिए
मान्यताओं के मुताबिक काशी से पवित्र गंगाजल नहीं ले जाना चाहिए क्योंकि यह नगरी मोक्ष की है.
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समाहित जीवों को घर ले जाता
यहां से जो कोई भी गंगा जल को लेकर जाता है वो अपने साथ जल में समाहित जीवों को घर ले जाता है.
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जीवों को नहीं मिलता मोक्ष
जिसके कारण उन जीवों को कभी मोक्ष नहीं मिल पाता है और गंगाजल ले जाने वाला व्यक्ति महापाप का भागी बन जाता है.
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