बजट से पहले संसद में क्यों पेश होता है इकोनॉमिक सर्वे?
2025-26 का आम बजट
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2025-26 का आम बजट पेश करने वाली है.
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बजट सत्र शुरू
आज यानी 31 जनवरी को बजट सत्र शुरू हो जाएगा. जिसमें राष्ट्रपति के संबोधन के बाद इकोनॉमिक सर्वे पेश किया जाएगा.
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इकोनॉमिक सर्वे
लेकिन कई लोगों को इकोनॉमिक सर्वे के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होता है. इकोनॉमिक सर्वे क्यों और कितना जरूरी है?
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इकोनॉमिक सर्वे क्या है?
आज हम आपको इसके इंपॉर्टेंस के बारे में बताएंगे. इकोनॉमिक सर्वे को एक परफॉर्मेंस सर्टिफिकेट के रूप में देखा जा सकता है.
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देश की इकोनॉमी पर असर
इसमें यह दिखाया जाता है कि सरकार के पिछले बजट से देश की इकोनॉमी पर कितना असर पड़ा है.
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देश का पहला इकोनॉमिक सर्वे
1950-51 में देश का पहला इकोनॉमिक सर्वे संसद में पेश किया गया था. मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले यह केवल एक वॉल्यूम में आता था.
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दो वॉल्यूम में पेश
साल 2014-15 के बाद इसे दो वॉल्यूम में पेश किया जाने लगा. जिसमें पहला वॉल्यूम इकोनॉमी की चुनौतियों पर फोकस रहता है. वहीं दूसरे में इकोनॉमी के सभी बड़े सेक्टर्स की समीक्षा की जाती है.
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पिछले साल का लेखा जोखा
इकोनॉमिक सर्वे में पिछले साल का पूरा लेखा जोखा होता है. जिसमें रोजगार, जीडीपी, मुद्रा की आपूर्ति, कीमतें, आयात-निर्यात, विदेशी मुद्रा भंडार, बजट घाटा और महंगाई जैसे मुद्दे के बारे में लिखा होता है.
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देश की आर्थिक स्थिति
इन सभी के रिपोर्ट के साथ इससे जुड़े कुछ सजेशन भी दिए जाते हैं. इसके जरिए देश की आर्थिक स्थिति समझने में मदद मिलती है. जिसके बाद जरूरत के हिसाब से बजट बनाया जाता है.
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चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर
इकोनॉमिक सर्वे हमेशा चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर (CEA) के नेतृत्व में बनाया जाता है. अभी के समय में वी.अनंत नागेश्वरन मुख्य आर्थिक सलाहकार हैं.
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