कभी कभी यूँ भी हम ने अपने जी को बहलाया है... पढिए निदा फाजली के शेर
निदा फाजली
कभी कभी यूँ भी हम ने अपने जी को बहलाया है
निदा फाजली
जिन बातों को ख़ुद नहीं समझे औरों को समझाया है
निदा फाजली
हम से पूछो इज़्ज़त वालों की इज़्ज़त का हाल कभी
निदा फाजली
हम ने भी इक शहर में रह कर थोड़ा नाम कमाया है
निदा फाजली
उस को भूले बरसों गुज़रे लेकिन आज न जाने क्यूँ
निदा फाजली
आँगन में हँसते बच्चों को बे-कारन धमकाया है
निदा फाजली
उस बस्ती से छुट कर यूँ तो हर चेहरे को याद किया
निदा फाजली
जिस से थोड़ी सी अन-बन थी वो अक्सर याद आया है
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