Urdu Shayari: अंधेरा है कैसे तिरा ख़त पढ़ूँ,लिफ़ाफ़े में कुछ रौशनी भेज दे
लाला माधव राम जौहर
ख़त लिखा यार ने रक़ीबों को, ज़िंदगी ने दिया जवाब मुझे
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फ़ना बुलंदशहरी
क्या भूल गए हैं वो मुझे पूछना क़ासिद,नामा कोई मुद्दत से मिरे काम न आया
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अमीर मीनाई
तवक़्क़ो है धोके में आ कर वह पढ़ लें, कि लिक्खा है नामा उन्हें ख़त बदल कर
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हामिद मुख़्तार हामिद
आज का ख़त ही उसे भेजा है कोरा लेकिन ,आज का ख़त ही अधूरा नहीं लिख्खा मैं ने
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वलीउल्लाह मुहिब
ख़त का ये जवाब आया कि क़ासिद गया जी से,सर एक तरफ़ लोटे है और एक तरफ़ धड़
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लाला माधव राम जौहर
मेरा ही ख़त उस शोख़ ने भेजा मिरे आगे,आख़िर जो लिखा था वही आया मिरे आगे
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चराग़ शर्मा
तुम्हें ये ग़म है कि अब चिट्ठियाँ नहीं आतीं,हमारी सोचो हमें हिचकियाँ नहीं आतीं
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