Urdu Shayari: अंधेरा है कैसे तिरा ख़त पढ़ूँ,लिफ़ाफ़े में कुछ रौशनी भेज दे


2024/05/01 13:41:44 IST

लाला माधव राम जौहर

    ख़त लिखा यार ने रक़ीबों को, ज़िंदगी ने दिया जवाब मुझे

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फ़ना बुलंदशहरी

    क्या भूल गए हैं वो मुझे पूछना क़ासिद,नामा कोई मुद्दत से मिरे काम न आया

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अमीर मीनाई

    तवक़्क़ो है धोके में आ कर वह पढ़ लें, कि लिक्खा है नामा उन्हें ख़त बदल कर

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हामिद मुख़्तार हामिद

    आज का ख़त ही उसे भेजा है कोरा लेकिन ,आज का ख़त ही अधूरा नहीं लिख्खा मैं ने

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वलीउल्लाह मुहिब

    ख़त का ये जवाब आया कि क़ासिद गया जी से,सर एक तरफ़ लोटे है और एक तरफ़ धड़

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लाला माधव राम जौहर

    मेरा ही ख़त उस शोख़ ने भेजा मिरे आगे,आख़िर जो लिखा था वही आया मिरे आगे

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चराग़ शर्मा

    तुम्हें ये ग़म है कि अब चिट्ठियाँ नहीं आतीं,हमारी सोचो हमें हिचकियाँ नहीं आतीं

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