बदन के दोनों किनारों से जल रहा हूँ मैं, पढ़िए इरफ़ान सिद्दीक़ी के चुनिंदा शेर


2024/06/18 14:13:55 IST

ख़याल

    मगर गिरफ़्त में आता नहीं बदन उस का, ख़याल ढूँढता रहता है इस्तिआरा कोई

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दिल

    हमारे दिल को इक आज़ार है ऐसा नहीं लगता,कि हम दफ़्तर भी जाते हैं ग़ज़ल-ख़्वानी भी करते हैं

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सवाल

    कहा था तुम ने कि लाता है कौन इश्क़ की ताब,सो हम जवाब तुम्हारे सवाल ही के तो हैं

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बग़ैर

    हम ने देखा ही था दुनिया को अभी उस के बग़ैर, लीजिए बीच में फिर दीदा-ए-तर आ गए हैं

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जलाना

    शोला-ए-इश्क़ बुझाना भी नहीं चाहता है,वो मगर ख़ुद को जलाना भी नहीं चाहता है

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दीवार

    रूह को रूह से मिलने नहीं देता है बदन, ख़ैर ये बीच की दीवार गिरा चाहती है

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फ़ैसले

    मैं चाहता हूँ यहीं सारे फ़ैसले हो जाएँ, कि इस के बअद ये दुनिया कहाँ से लाऊँगा मैं

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