Urdu Shayari: इरादे बाँधता हूँ सोचता हूँ तोड़ देता हूँ,कहीं ऐसा न हो जाए कहीं ऐसा न हो जाए
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
फड़कूँ तो सर फटे है न फड़कूँ तो जी घटे,तंग इस क़दर दिया मुझे सय्याद ने क़फ़स
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पैग़ाम-बर
इधर से तक़ाज़ा उधर से तग़ाफ़ुल,अजब खींचा-तानी में पैग़ाम-बर है
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असर लखनवी
ये सोचते ही रहे और बहार ख़त्म हुई,कहाँ चमन में नशेमन बने कहाँ न बने
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असर अकबराबादी
है अजब सी कश्मकश दिल में असर, किस को भूलें किस को रक्खें याद हम
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अमीर मीनाई
शौक़ कहता है पहुँच जाऊँ मैं अब काबे में जल्द,राह में बुत-ख़ाना पड़ता है इलाही क्या करूँ
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शोहरत बुख़ारी
ये किस अज़ाब में छोड़ा है तू ने इस दिल को,सुकून याद में तेरी न भूलने में क़रार
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क़मर जलालवी
ज़ब्त करता हूँ तो घुटता है क़फ़स में मिरा दम,आह करता हूँ तो सय्याद ख़फ़ा होता है
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