Urdu Shayari: तुम जिसे चाँद कहते हो वो अस्ल में,आसमाँ के बदन पर कोई घाव है


2024/08/22 14:14:36 IST

अहमद शनास

    फूल बाहर है कि अंदर है मिरे सीने में,चाँद रौशन है कि मैं आप ही ताबिंदा हूँ

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मिर्ज़ा मोहम्मद तक़ी हवस

    लुत्फ़-ए-शब-ए-मह ऐ दिल उस दम मुझे हासिल हो,इक चाँद बग़ल में हो इक चाँद मुक़ाबिल हो

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नासिर शहज़ाद

    नय्या बाँधो नदी किनारे सखी,चाँद बैराग रात त्याग लगे

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जलील मानिकपूरी

    हर रंग है तेरे आगे फीका,महताब है फूल चाँदनी का

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अब्दुर्रहमान मोमिन

    चाँद में तू नज़र आया था मुझे,मैं ने महताब नहीं देखा था

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त्रिपुरारि

    तुम जिसे चाँद कहते हो वो अस्ल में,आसमाँ के बदन पर कोई घाव है

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ख़्वाजा हसन असकरी

    बारिश के बाद रात सड़क आइना सी थी,इक पाँव पानियों पे पड़ा चाँद हिल गया

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