Urdu Shayari: तुम जिसे चाँद कहते हो वो अस्ल में,आसमाँ के बदन पर कोई घाव है
अहमद शनास
फूल बाहर है कि अंदर है मिरे सीने में,चाँद रौशन है कि मैं आप ही ताबिंदा हूँ
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मिर्ज़ा मोहम्मद तक़ी हवस
लुत्फ़-ए-शब-ए-मह ऐ दिल उस दम मुझे हासिल हो,इक चाँद बग़ल में हो इक चाँद मुक़ाबिल हो
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नासिर शहज़ाद
नय्या बाँधो नदी किनारे सखी,चाँद बैराग रात त्याग लगे
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जलील मानिकपूरी
हर रंग है तेरे आगे फीका,महताब है फूल चाँदनी का
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अब्दुर्रहमान मोमिन
चाँद में तू नज़र आया था मुझे,मैं ने महताब नहीं देखा था
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त्रिपुरारि
तुम जिसे चाँद कहते हो वो अस्ल में,आसमाँ के बदन पर कोई घाव है
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ख़्वाजा हसन असकरी
बारिश के बाद रात सड़क आइना सी थी,इक पाँव पानियों पे पड़ा चाँद हिल गया
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