Urdu Shayari: आज फिर मुझ से कहा दरिया ने,, क्या इरादा है बहा ले जाऊँ
गोया फ़क़ीर मोहम्मद
अपने सिवा नहीं है कोई अपना आश्ना,दरिया की तरह आप हैं अपने कनार में
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इरफ़ान सिद्दीक़ी
अजब नहीं कि ये दरिया नज़र का धोका हो,अजब नहीं कि कोई रास्ता निकल आए
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वाली आसी
दरिया दिखाई देता है हर एक रेग-ज़ार,शायद कि इन दिनों मुझे शिद्दत की प्यास है
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शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
अगर रोते न हम तो देखते तुम,जहाँ में नाव को दरिया न होता
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स्वप्निल तिवारी
मेरे अनासिर ख़ाक न हों बस रंग बनें,और जंगल सहरा दरिया पर बरसे रंग
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अदनान मोहसिन
ग़ुरूर-ए-तिश्ना-दहानी तिरी बक़ा की क़सम,नदी हमारे लबों की तरफ़ उछलती रही
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क़मर अब्बास क़मर
इस के ठहराओ से थम जाती है सब मौज-ए-हयात, यानी दरिया में नहीं साँस में गहराई है
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