Urdu Shayari: बारहा तेरा इंतिज़ार किया, ख़्वाबों में इक दुल्हन की तरह
फ़िराक़ गोरखपुरी
कोई आया न आएगा लेकिन, क्या करें गर न इंतिज़ार करें
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निज़ाम रामपुरी
है ख़ुशी इंतिज़ार की हर दम,मैं ये क्यूँ पूछूँ कब मिलेंगे आप
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मुनव्वर राना
तमाम जिस्म को आँखें बना के राह तको, तमाम खेल मोहब्बत में इंतिज़ार का है
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इमाम बख़्श नासिख़
आने में सदा देर लगाते ही रहे तुम,जाते रहे हम जान से आते ही रहे तुम
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मुनीर नियाज़ी
अब कौन मुंतज़िर है हमारे लिए वहाँ, शाम आ गई है लौट के घर जाएँ हम तो क्या
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साहिल सहरी नैनीताली
मैं लौटने के इरादे से जा रहा हूँ मगर,सफ़र सफ़र है मिरा इंतिज़ार मत करना
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मीर तक़ी मीर
बे-ख़ुदी ले गई कहाँ हम को, देर से इंतिज़ार है अपना
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