Urdu Shayari: मुझे अब तुम से डर लगने लगा है,तुम्हें मुझ से मोहब्बत हो गई क्या
ख़ुमार बाराबंकवी
ये कहना था उन से मोहब्बत है मुझ को,ये कहने में मुझ को ज़माने लगे हैं
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अकबर इलाहाबादी
इश्क़ के इज़हार में हर-चंद रुस्वाई तो है,पर करूँ क्या अब तबीअत आप पर आई तो है
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जोश मलीहाबादी
एक दिन कह लीजिए जो कुछ है दिल में आप के,एक दिन सुन लीजिए जो कुछ हमारे दिल में है
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कमाल अहमद सिद्दीक़ी
पुर्सिश-ए-हाल भी इतनी कि मैं कुछ कह न सकूँ,इस तकल्लुफ़ से करम हो तो सितम होता है
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तनवीर सामानी
क्यूँ न तनवीर फिर इज़हार की जुरअत कीजे,ख़ामुशी भी तो यहाँ बाइस-ए-रुस्वाई है
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फ़रहत एहसास
शाइरी को मिरा इज़हार समझता है मगर,पर्दा-ए-शेर उठाना भी नहीं चाहता है
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नील अहमद
सीने से दिल निकाल के हाथों पे रख दिया, मैं ने तो बस कहा था कि धड़कन का शोर है
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कुमार विकास
हाए इज़हार कर के पछताए,उस को इक दोस्त की ज़रूरत थी
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