अभी न छेड़ मोहब्बत के गीत ऐ मुतरिब.. पढ़ें साहिर लुधियानवी के शेर..


2024/01/04 23:33:17 IST

मज़ाक़

    इक शहंशाह ने दौलत का सहारा ले कर, हम ग़रीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मज़ाक़

शबनम

    उन के रुख़्सार पे ढलके हुए आँसू तौबा, मैं ने शबनम को भी शोलों पे मचलते देखा

उदास

    चंद कलियाँ नशात की चुन कर मुद्दतों महव-ए-यास रहता हूँ, तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ

बर्बादियों

    बर्बादियों का सोग मनाना फ़ुज़ूल था, बर्बादियों का जश्न मनाता चला गया

शुऊर

    जब तुम से मोहब्बत की हम ने तब जा के कहीं ये राज़ खुला, मरने का सलीक़ा आते ही जीने का शुऊर आ जाता है

हवादिस

    दुनिया ने तजरबात ओ हवादिस की शक्ल में, जो कुछ मुझे दिया है वो लौटा रहा हूं मैं

तबस्सुम

    मैं जिसे प्यार का अंदाज़ समझ बैठा हूँ, वो तबस्सुम वो तकल्लुम तिरी आदत ही न हो

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