पास जब तक वो रहे दर्द थमा रहता है..पढ़ें परवीन शाकिर के चुनिंदा शेर...


2024/01/14 19:13:06 IST

ख़ुश-बदन

    कभी कभार उसे देख लें कहीं मिल लें, ये कब कहा था कि वो ख़ुश-बदन हमारा हो

शरीक-ए-सफ़

    रस्ते में मिल गया तो शरीक-ए-सफ़र न जान, जो छाँव मेहरबाँ हो उसे अपना घर न जान

जुगनू

    जुगनू को दिन के वक़्त परखने की ज़िद करें, बच्चे हमारे अहद के चालाक हो गए

रूह

    उस ने जलती हुई पेशानी पे जब हाथ रखा, रूह तक आ गई तासीर मसीहाई की

आँखें

    तू बदलता है तो बे-साख़्ता मेरी आँखें, अपने हाथों की लकीरों से उलझ जाती हैं

चिड़ियों

    कल रात जो ईंधन के लिए कट के गिरा है, चिड़ियों को बहुत प्यार था उस बूढे शजर से

दरवाज़ा

    हाथ मेरे भूल बैठे दस्तकें देने का फ़न, बंद मुझ पर जब से उस के घर का दरवाज़ा हुआ

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