ज़िंदगी से यही गिला है मुझे...अहमद फ़राज़ के दिल छू लेने वाले शेर
चाहत
दिल को तिरी चाहत पे भरोसा भी बहुत है...और तुझ से बिछड़ जाने का डर भी नहीं जाता
मोहब्बत
ज़िंदगी से यही गिला है मुझे...तू बहुत देर से मिला है मुझे
अहमद फ़राज़ के शेर
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ...आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
मोहब्बत के शेर
तेरी बातें ही सुनाने आए...दोस्त भी दिल ही दुखाने आए
दिल को छू लेने वाले शेर
क़ुर्बतें लाख ख़ूब-सूरत हों...दूरियों में भी दिलकशी है अभी
दिलकशी
क़ुर्बतें लाख ख़ूब-सूरत हों...दूरियों में भी दिलकशी है अभी
मोहब्बतें
और फ़राज़ चाहिएँ कितनी मोहब्बतें तुझे...माओं ने तेरे नाम पर बच्चों का नाम रख दिया
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