तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल...अहमद फ़राज़ के दिल छू लेने वाले शेर
आशिक़ी
आशिक़ी में मीर जैसे ख़्वाब मत देखा करो ....बावले हो जाओगे महताब मत देखा करो
बातें
तेरी बातें ही सुनाने आए ...दोस्त भी दिल ही दुखाने आए
बंदगी
बंदगी हम ने छोड़ दी है फ़राज़ ...क्या करें लोग जब ख़ुदा हो जाएँ
मोहब्बत
तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल ....हार जाने का हौसला है मुझे
ज़िक्र
चला था ज़िक्र ज़माने की बेवफ़ाई का ...सो आ गया है तुम्हारा ख़याल वैसे ही
मरासिम
अब और क्या किसी से मरासिम बढ़ाएँ हम ...ये भी बहुत है तुझ को अगर भूल जाएँ हम
बदन
सुना है उस के बदन की तराश ऐसी है ....कि फूल अपनी क़बाएँ कतर के देखते हैं
दिल-ए-ख़ुश-फ़हम
अब तक दिल-ए-ख़ुश-फ़हम को तुझ से हैं उमीदें ....ये आख़िरी शमएँ भी बुझाने के लिए आ
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