सबक़ मिला है ये मेराज-ए-मुस्तफ़ा से मुझे.. पढ़ें अल्लामा इक़बाल के शेर...


2024/01/19 22:52:57 IST

नूर

    गुज़र जा अक़्ल से आगे कि ये नूर, चराग़-ए-राह है मंज़िल नहीं है!

तसव्वुर

    हाँ दिखा दे ऐ तसव्वुर फिर वो सुब्ह ओ शाम तू, दौड़ पीछे की तरफ़ ऐ गर्दिश-ए-अय्याम तू

आजिज़ी

    कुशादा दस्त-ए-करम जब वो बे-नियाज़ करे, नियाज़-मंद न क्यूँ आजिज़ी पे नाज़ करे

सितारा

    सितारा क्या मिरी तक़दीर की ख़बर देगा, वो ख़ुद फ़राख़ी-ए-अफ़्लाक में है ख़्वार ओ ज़ुबूँ

साहिब-ए-इदराक

    ज़माना अक़्ल को समझा हुआ है मिशअल-ए-राह, किसे ख़बर कि जुनूँ भी है साहिब-ए-इदराक

तक़दीर-ए-उमम

    मैं तुझ को बताता हूँ तक़दीर-ए-उमम क्या है, शमशीर-ओ-सिनाँ अव्वल ताऊस-ओ-रुबाब आख़िर

आबजू

    ख़ुदी वो बहर है जिस का कोई किनारा नहीं, तू आबजू इसे समझा अगर तो चारा नहीं

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