सबक़ मिला है ये मेराज-ए-मुस्तफ़ा से मुझे.. पढ़ें अल्लामा इक़बाल के शेर...
नूर
गुज़र जा अक़्ल से आगे कि ये नूर, चराग़-ए-राह है मंज़िल नहीं है!
तसव्वुर
हाँ दिखा दे ऐ तसव्वुर फिर वो सुब्ह ओ शाम तू, दौड़ पीछे की तरफ़ ऐ गर्दिश-ए-अय्याम तू
आजिज़ी
कुशादा दस्त-ए-करम जब वो बे-नियाज़ करे, नियाज़-मंद न क्यूँ आजिज़ी पे नाज़ करे
सितारा
सितारा क्या मिरी तक़दीर की ख़बर देगा, वो ख़ुद फ़राख़ी-ए-अफ़्लाक में है ख़्वार ओ ज़ुबूँ
साहिब-ए-इदराक
ज़माना अक़्ल को समझा हुआ है मिशअल-ए-राह, किसे ख़बर कि जुनूँ भी है साहिब-ए-इदराक
तक़दीर-ए-उमम
मैं तुझ को बताता हूँ तक़दीर-ए-उमम क्या है, शमशीर-ओ-सिनाँ अव्वल ताऊस-ओ-रुबाब आख़िर
आबजू
ख़ुदी वो बहर है जिस का कोई किनारा नहीं, तू आबजू इसे समझा अगर तो चारा नहीं
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