अपनी तबाहियों का मुझे कोई ग़म नहीं ..पढ़ें साहिर लुधियानवी के शेर..


2024/01/01 23:18:20 IST

मोहब्बत

    आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तौलें, हम मोहब्बत से मोहब्बत का सिला देते हैं

रक़ीब

    इस तरह ज़िंदगी ने दिया है हमारा साथ, जैसे कोई निबाह रहा हो रक़ीब से

जंग लाज़मी

    हम अम्न चाहते हैं मगर ज़ुल्म के ख़िलाफ़, गर जंग लाज़मी है तो फिर जंग ही सही

धुएँ में

    मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया, हर फ़िक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया

इल्ज़ाम

    तुम मेरे लिए अब कोई इल्ज़ाम न ढूँडो, चाहा था तुम्हें इक यही इल्ज़ाम बहुत है

जहालत

    बे पिए ही शराब से नफ़रत, ये जहालत नहीं तो फिर क्या है

बर्बाद

    वैसे तो तुम्हीं ने मुझे बर्बाद किया है, इल्ज़ाम किसी और के सर जाए तो अच्छा

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