कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है ज़िंदगी...पढिए मोहब्बत पर लिखे गुलजार के शेर


2023/12/18 21:46:48 IST

इंतिज़ार

    कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़, किसी की आँख में हम को भी इंतिज़ार दिखे

ख़ामोशी

    कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ, उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की

नज़्म

    कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है, ज़िंदगी एक नज़्म लगती है

बारिश

    मैं चुप कराता हूँ हर शब उमड़ती बारिश को, मगर ये रोज़ गई बात छेड़ देती है

ख़ताएँ

    तुम्हारे ख़्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं, सज़ाएँ भेज दो हम ने ख़ताएँ भेजी हैं

दास्ताँ

    कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था, आज की दास्ताँ हमारी है

दस्तक

    दिल पर दस्तक देने कौन आ निकला है, किस की आहट सुनता हूँ वीराने में

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