कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता.. पढ़िए निदा फाजली के तनहाई भरी गजलें


2023/12/18 17:41:53 IST

निदा फाजली

    कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता

निदा फाजली

    तमाम शहर में ऐसा नहीं ख़ुलूस न हो जहाँ उमीद हो इस की वहाँ नहीं मिलता

निदा फाजली

    कहाँ चराग़ जलाएँ कहाँ गुलाब रखें छतें तो मिलती हैं लेकिन मकाँ नहीं मिलता

निदा फाजली

    ये क्या अज़ाब है सब अपने आप में गुम हैं ज़बाँ मिली है मगर हम-ज़बाँ नहीं मिलता

निदा फाजली

    चराग़ जलते ही बीनाई बुझने लगती है ख़ुद अपने घर में ही घर का निशाँ नहीं मिलता

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