पूछते हैं वो कि 'ग़ालिब' कौन है, पढ़ें मिर्जा गालिब के चुनिंदा शेर
गालिब के चुनिंदा शेर
पूछते हैं वो कि ग़ालिब कौन है, कोई बतलाओ कि हम बतलाएं क्या
गालिब के चुनिंदा शेर
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले, बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
गालिब के चुनिंदा शेर
तुम से बेजा है मुझे अपनी तबाही का गिला, उसमें कुछ शाएबा-ए-ख़ूबिए-तकदीर भी था
गालिब के चुनिंदा शेर
वो उम्र भर कहते रहे तुम्हारे सीने में दिल नहीं, दिल का दौरा क्या पड़ा ये दाग भी धुल गया
गालिब के चुनिंदा शेर
इश्क़ ने गालिब निकम्मा कर दिया, वर्ना हम भी आदमी थे काम के
गालिब के चुनिंदा शेर
इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा, लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं
गालिब के चुनिंदा शेर
आए है बेकसीए इश्क पे रोना गालिब, किसके घर जाएगा सेलाब-ए-बला मेरे बाद
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