जिस को हर वक़्त देखता हूँ मैं...पढ़ें फहमी बदायूनी शेर..
नोकीले हो जाते हैं
तोड़े जाते हैं जो शीशे, वो नोकीले हो जाते हैं
क़ब्र के बराबर से
फिर उसी क़ब्र के बराबर से, ज़िंदा रहने का रास्ता निकला
नक़्ल कर के पास हुए
सख़्त मुश्किल था इम्तिहान-ए-ग़ज़ल, मीर की नक़्ल कर के पास हुए
पहली बार बच्चे उड़ रहे हैं
बहुत कहती रही आँधी से चिड़िया, कि पहली बार बच्चे उड़ रहे हैं
लोग सुन लेंगे
कुछ न कुछ बोलते रहो हम से, चुप रहोगे तो लोग सुन लेंगे
राह से हटा ही नहीं
मुझ पे हो कर गुज़र गई दुनिया, मैं तिरी राह से हटा ही नहीं
लैला घर में सिलाई करने लगी
लैला घर में सिलाई करने लगी, क़ैस दिल्ली में काम करने लगा
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