मिरे साए में उस का नक़्श-ए-पा है...पढ़ें फहमी बदायूनी शेर..
गर्दिश कर रहे हैं
तिरी तस्वीर, पंखा, मेज़, मुफ़लर, मिरे कमरे में गर्दिश कर रहे हैं
काम-काज मिरा
मैं तो रहता हूँ दश्त में मसरूफ़, क़ैस करता है काम-काज मिरा
दस्ताने बना लूँ
तिरे मोज़े यहीं पर रह गए हैं, मैं इन से अपने दस्ताने बना लूँ
ग़ालिब' के जूते
अभी चमके नहीं ग़ालिब के जूते, अभी नक़्क़ाद पॉलिश कर रहे हैं
कहाँ कहाँ ढूँडा
यार तुम को कहाँ कहाँ ढूँडा, जाओ तुम से मैं बोलता ही नहीं
आसमाँ दिखाई दिया
अच्छे-ख़ासे क़फ़स में रहते थे, जाने क्यूँ आसमाँ दिखाई दिया
कितना बोलता है
मैं चुप रहता हूँ इतना बोल कर भी, तू चुप रह कर भी कितना बोलता है
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