बे-क़रारी सी बे-क़रारी है... पढ़े जौन एलिया दिल को छू लेने वाले शेर
चैन
ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता...एक ही शख़्स था जहान में क्या
नज़दीक
बहुत नज़दीक आती जा रही हो...बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या
रोज़
कौन इस घर की देख-भाल करे...रोज़ इक चीज़ टूट जाती है
फ़िराक़
बे-क़रारी सी बे-क़रारी है...वस्ल है और फ़िराक़ तारी है
इंतिहाई
याद उसे इंतिहाई करते हैं...सो हम उस की बुराई करते हैं
शिकवा
दिल की तकलीफ़ कम नहीं करते...अब कोई शिकवा हम नहीं करते
नींद
बिन तुम्हारे कभी नहीं आई...क्या मिरी नींद भी तुम्हारी है
हिज्र
तुम्हारा हिज्र मना लूँ अगर इजाज़त हो...मैं दिल किसी से लगा लूँ अगर इजाज़त हो
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