क्या सितम है कि अब तिरी सूरत... पढ़े जौन एलिया दिल को छू लेने वाले शेर
सितम
क्या सितम है कि अब तिरी सूरत...ग़ौर करने पे याद आती है.
शुक्रिया
ठीक है ख़ुद को हम बदलते हैं...शुक्रिया मश्वरत का चलते हैं
हिज्र
तुम्हारा हिज्र मना लूँ अगर इजाज़त हो...मैं दिल किसी से लगा लूँ अगर इजाज़त हो
वक़्त
आदमी वक़्त पर गया होगा...वक़्त पहले गुज़र गया होगा
कुशादा
बहुत दिल को कुशादा कर लिया क्या...ज़माने भर से वादा कर लिया क्या
यार
अपने सब यार काम कर रहे हैं...और हम हैं कि नाम कर रहे हैं
मुज़्दा
एक ही मुज़्दा सुब्ह लाती है...धूप आँगन में फैल जाती है
जान-लेवा
जान-लेवा थीं ख़्वाहिशें वर्ना...वस्ल से इंतिज़ार अच्छा था
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