सुना करो मेरी जाँ इन से उन से अफ़्साने..पढ़ें कैफ़ी आज़मी के शेर...


2024/02/01 22:17:49 IST

जंगल तो पराया

    बिजली के तार पे बैठा हुआ हँसता पंछी, सोचता है कि वो जंगल तो पराया होगा

दीवाना तेरे शहर में

    आज फिर टूटेंगी तेरे घर की नाज़ुक खिड़कियाँ, आज फिर देखा गया दीवाना तेरे शहर में

निशाँ नहीं मिलता

    नई ज़मीन नया आसमाँ भी मिल जाए, नए बशर का कहीं कुछ निशाँ नहीं मिलता

लैला ने नया जनम

    लैला ने नया जनम लिया है, है क़ैस कोई जो दिल लगाए

ज़ख़्मों को वक़्त

    जिन ज़ख़्मों को वक़्त भर चला है, तुम क्यूँ उन्हें छेड़े जा रहे हो

दिल बे-क़रार है

    तू अपने दिल की जवाँ धड़कनों को गिन के बता, मेरी तरह तेरा दिल बे-क़रार है कि नहीं

सलीक़ा न ज़िंदगी का रहा

    जो वो मेरे न रहे मैं भी कब किसी का रहा, बिछड़ के उन से सलीक़ा न ज़िंदगी का रहा

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