होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है..पढ़ें निदा फ़ाज़ली के शेर..
मुकम्मल जहाँ
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता, कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता
आदमी
हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी, जिस को भी देखना हो कई बार देखना
ज़िंदगी क्या है
धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो, ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो
मुक़द्दर तलाश कर
कोशिश भी कर उमीद भी रख रास्ता भी चुन, फिर इस के बअद थोड़ा मुक़द्दर तलाश कर
चाँद सितारे छूने दो
बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो, चार किताबें पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जाएँगे
रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए
घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें, किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए
ख़ामुशी क्या चीज़ है
हम लबों से कह न पाए उन से हाल-ए-दिल कभी, और वो समझे नहीं ये ख़ामुशी क्या चीज़ है
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