बदला न अपने-आप को जो थे वही रहे...पढ़ें निदा फ़ाज़ली के शेर..


2024/02/01 21:58:10 IST

हिफ़ाज़त कीजिए

    अपने लहजे की हिफ़ाज़त कीजिए, शेर हो जाते हैं ना-मालूम भी

निशाने ख़ता हुए

    हम भी किसी कमान से निकले थे तीर से, ये और बात है कि निशाने ख़ता हुए

लफ़्ज़ों के मआनी

    कहता है कोई कुछ तो समझता है कोई कुछ, लफ़्ज़ों से जुदा हो गए लफ़्ज़ों के मआनी

रस्ता ही रस्ता

    ग़म हो कि ख़ुशी दोनों कुछ दूर के साथी हैं, फिर रस्ता ही रस्ता है हँसना है न रोना है

चेहरा चेहरा

    एक बे-चेहरा सी उम्मीद है चेहरा चेहरा, जिस तरफ़ देखिए आने को है आने वाला

आदमी था कम

    ख़ुश-हाल घर शरीफ़ तबीअत सभी का दोस्त, वो शख़्स था ज़ियादा मगर आदमी था कम

शम्अ जलाने से रही

    इस अँधेरे में तो ठोकर ही उजाला देगी, रात जंगल में कोई शम्अ जलाने से रही

View More Web Stories